नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। Farmers Delhi March एकबार फिर ठंड के मौसम में अन्नदाता ने हुंकार भरी है। अपनी मांगों को लेकर हलधर मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के दौरान सड़क पर उतरा है। ट्रैक्टर ट्राली और वाहनों के काफिलों की तरफ किसान दिल्ली की तरफ चल पड़े हैं। वहीं कानून-व्यवस्था को देखते हुए पुलिस किसानों के गुटों को अलग-अलग रोकने की योजना बनाई हुई है। कई थानों की पुलिस और पीएसी के साथ अर्धसैनिकबल के जवनों को लगाया गया है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे पर भी कई चेक प्वाइंट बनाए गए हैं। किसानों ने पुलिस के बेरीकेड तोड़ दी और आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं।
Farmers Delhi March हजारों किसान सड़क पर उतरे
दिल्ली-एनसीआर संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में हजारों किसान सोमवार को सड़क पर उतर और नोएडा की तरफ चल पड़े। रविवार को किसान नेता और प्रशासन के साथ वार्ता हुई, जो बेनतीजा रही। किसान लंबे समय से नोएडा की तीनों प्राधिकरण का घेराव करते आ रहे हैं। सोमवार की सुबह करीब 40 से 45 हजार किसान संसद का घेराव करने के वास्ते सड़कों पर हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक किसानों का एक बड़ा जत्था नोएडा के महामाया फ्लाईओवर तक पहुंच भी गया है और पुलिस के बैरियल को हटाने का प्रयास भी किया। शासन-प्रशासन ने अहम बॉर्डर की बाड़ेबंदी की ली है, मगर किसान पीछे हटने को तैयार नहीं।
Farmers Delhi March किसान आंदोलन में 10 संगठन
अधिकतर किसान संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले एकजुट हुए हैं. ये 10 अलग-अलग किसानों का संगठन है. जिनमें भारतीय किसान यूनियन किसान आंदोलन में टिकैत, भारतीय किसान यूनियन महात्मा टिकैत, भारतीय किसान यूनियन अजगर, भारतीय किसान यूनियन कृषक शक्ति, भारतीय किसान परिषद, अखिल भारतीय किसान सभा, किसान एकता परिषद, किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा, जय जवान-जय किसान मोर्चा और सिस्टम सुधार संगठन आगरा जैसे बड़े और अहम संगठन शामिल हैं। 6 दिसंबर को शंभू और खनौरी बॉर्डर के रास्ते इनका पहला जत्था दिल्ली में दाखिल होने की तैयारी में जुटा है। दिल्ली की ओर कूच के साथ-साथ केरल, उत्तराखंड और तमिलनाडु में भी प्रदर्शन की बातें हैं।
Farmers Delhi March इस वजह से आंदोलन कर रहे किसान
आंदोलन करने वाले किसान संगठन जमीन अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को 10 फीसदी विकसित प्लॉट और नए भूमि अधिग्रहण कानून के लाभ देने की मांग उठा रहे हैं। इसको लेकर रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों की नोएडा अथॉरिटी, पुलिस और जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक हुई। हालांकि, वार्ता विफल रही। किसानों का कहना है कि अधिकारियों ने कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है। किसानों का कहना है कि आबादी निस्तारण की मांग को लेकर वे तीनों प्राधिकरण (नोएडा (नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी) के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों ने सबसे पहले महापंचायत की थी। 28 नवंबर से 1 दिसंबर तक यमुना विकास प्राधिकरण के बाहर प्रदर्शन किया। अंतिम चरण 2 दिसंबर को संसद सत्र के दौरान दिल्ली कूच करने का ऐलान किया हुआ है।
Farmers Delhi March किसानों की प्रमुख मांगे
नए भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक, एक जनवरी 2014 के बाद अधिग्रहित भूमि का मुआवजा दिया जाए। गौतमबुद्ध नगर में 10 वर्ष से सर्किल रेट भी नहीं बढ़ा है, उसे बढ़ाया जाए। जिले में नए भूमि अधिग्रहण कानून के लाभ लागू हों। नए भूमि अधिग्रहण कानून के सभी लाभ, हाई पावर कमेटी द्वारा किसानों के हक में भेजी गई सिफारिशें लागू की जाएं। भूमिधर, भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्विकास के लाभ मिलें। इसके अलावा वे पुरानी मगर बड़ी मांगों में से एक कर्ज माफी, पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी न करने और पिछले प्रदर्शनों में दर्ज हुए पुलिस मामलों की वापसी को लेकर लामबंद हैं। साथ ही, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय और 2020-21 के आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा मिले, इस सवाल पर भी वे इकठ्ठे हैं।
Farmers Delhi March 378 दिन तक चला था किसानों का आंदोलन
तीन कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले 26 नवंबर 2020 से आंदोलन का आगाज हुआ था। आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों ने अपनी जान गंवाई है। किसानों आंदोलन की शुरुआत किसानों के दिल्ली पहुंचने से पहले ही तब शुरू हो गई थी, जब सरकार जून के पहले सप्ताह में कोरोना काल के बीच तीन कृषि अध्यादेश लाई। इसका विरोध विपक्षी दलों के साथ-साथ किसान संगठनों ने भी शुरू कर दिया था। धीरे-धीरे पंजाब व हरियाणा में इसका विरोध तेज होता गया। पंजाब में इसके विरोध में रेल रोको आंदोलन से लेकर कई प्रकार के विरोध प्रदर्शन किए गए। किसानों ने सरकार के पूतले फूंके। अगस्त में किसानों ने जेल भरो आंदोलन किया और सैकड़ों किसानों ने गिरफ्तारियां दी। आजाद भारत का ये तीसरा सबसे बड़ा आंदोलन बना था।
Farmers Delhi March शंभू बार्डर पर किसानों का जमावड़ा
किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेतृत्व में पिछले एक साल से किसान शंभू बार्डर पर डेरा डाले हुए हैं। किसानों ने सरकार से कई मांगे की हुई हैं। किसान दिल्ली जाना चाहते हैं पर उन्हें बीच रास्ते पर रोक दिया गया। महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने बताया था कि शंभू बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान भी मिनिमम सपोर्ट प्राइस की गारंटी सहित अपनी मांगों को लेकर 6 दिसंबर को दिल्ली की ओर मार्च करेंगे। हमारी तैयारी पूरी है। एक-दो में बैठक कर आगे की रणनीति बनाई जाएगी। पंढेर ने कहा कि मोदी सरकार किसान विरोधी है। किसानों का उत्पीड़न जारी है। ये चुनिंदा कारोबारियों को फाएदा पहुंचाने के नियत से तीन क्रषि बिल लेकर आई थी। हमारी लड़ाई आगे भी जारी रहेगा।