• About
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact
Saturday, August 16, 2025
news 1 india
  • Login
  • Home
  • News
    • Politics
    • Business
    • World
    • Science
  • Entertainment
    • Gaming
    • Music
    • Movie
    • Sports
  • Tech
    • Apps
    • Gear
    • Mobile
    • Startup
  • Lifestyle
    • Food
    • Fashion
    • Health
    • Travel
No Result
View All Result
news 1 india
No Result
View All Result
Home TOP NEWS

ट्रंप के आते ही खामेनेई ने छोड़ी गद्दी, इस रहस्यमयी शख्स को सौंपी गई ईरान के सुप्रीम लीडर की कुर्सी

ईरान के सुप्रीम लीडर का चुनाव कर लिया गया है। खुद खामेनेई ने असेंबली के 60 सदस्यों को बुलाकर गोपनीय तरीके से सर्वसम्मति से मोजतबा के नाम पर सहमति जताई थी।

by Digital Desk
November 18, 2024
in TOP NEWS, राजनीति, विदेश
0
491
SHARES
1.4k
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। इजरायल और ईरान के प्रॉक्सी संगठनों के बीच जंग जारी है। आईडीएफ गाजा, लेबनान और सीरीया में बमों की बरसात कर रही है तो वहीं अमेरिका में भी सत्ता परिवर्तन हो गया। अब यूएसए के अगले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रप होंगे। ट्रंप के सत्ता संभालने से पहले ईरान में बड़ा उलटफेर हो गया। वहां के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई ने अपने दूसरे बेटे मुजतबा खामेनेई को उत्तराधिकारी बना दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है 85 साल के खामेनेई बीमार चल रहे हैं और इसी के कारण उन्होंने अपने बेटे को सुप्रीम लीडर की कुर्सी सौंपी है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

जंग के बीच छोटी गद्दी

दरअसल, इजरायल और ईरान के प्रॉक्सी संगठन हमास, हिज्बुल्लाह और हूती के खिलाफ भीषण जंग जारी है। वार के बीच ईरान और इजरायल के बीच तनाव है। दावा किया जा रहा था कि ईरान कभी भी इजरायल पर बड़ा हमला कर सकता है। हमले की आशंका को देखते हुए अमेरिका ने ईरान की चारों तरफ से घेराबंदी कर दी। रक्षा कवच इजरायल में तैनात किए। पर ईरान की तरफ से पलटवार नहीं हुआ। अब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सरकार सत्ता में आ गई है। डोनाल्ड ट्रंप खुलकर इजरायल के पक्ष में बयान दे चुके हैं। ईरान को आशंका है कि ट्रंप के कुर्सी पर बैठने के बाद अमेरिका-इजरायल उनके देश में हमला कर सकते हैं। इन्हीं आशांकों के बीच ईरान में बड़ा उलटफेर हो गया।

Related posts

Mrunal Thakur

मृणाल ठाकुर कने बिपाशा को कहा ‘मर्दाना’ अब जाके माफी मांगी तो जनता ने कहा- नाम लेकर बोलिए मैडम!

August 15, 2025
Chirag Paswan clarifies NDA alliance rumours and election preparations

किसके बयान पर मचा बवाल, चर्चा कैसे हुई शुरू, एनडीए से अलग होने की अटकलों पर किसने लगाया विराम

August 15, 2025

26 सितंबर को चुन लिया गया था सुप्रीम लीडर

ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई ने पद से रिजाइन करते हुए गद्दी अपने बेटे को सौंप दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान की एक्सपर्ट असेंबली ने 26 सितंबर को ही नए सुप्रीम लीडर का चुनाव कर लिया था। खुद खामेनेई ने असेंबली के 60 सदस्यों को बुलाकर गोपनीय तरीके से उत्तराधिकारी पर फैसला लेने कहा था। असेंबली ने सर्वसम्मति से मुजतबा के नाम पर सहमति जताई थी। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि आयतुल्लाह अली खामेनेई के गद्दी छोड़ने के पीछे ईरान में विद्रोह को माना जा रहा है। ईरान के पूर्व राष्ट्रपति अमेरिका में रहते हैं। अमेरिका उन्हें फिर से ईरान की बागडोर देना चाहता है। हालांकि बताया जा रहा है कि आयतुल्लाह अली खामेनेई बीमार चल रहे हैं और इसी के कारण उन्होंने अपने बेटे को गद्दी पर बैठाया है।

बड़े के बजाए छोटे बेटे को सौंपी गद्दी

रिपोर्ट के मुताबिक आयतुल्लाह खामेनेई गंभीर रूप से बीमार हैं। अपनी मौत से पहले शांतिपूर्ण तरीक से पावर ट्रांसफर करने के लिए ही खामेनेई ने बेटे को सारी जिम्मेदारियां सौंप दी हैं। दिलचस्प बात यह भी है कि खामनेई ने अपने बड़े बेटे मुस्तफा को वारिस नहीं बनाया है। इस फैसले के बारे में अभी ज्यादा जानकारी नहीं मिली है। मुस्तफा की ईरान के अंदर अच्छी पकड़ है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि मुस्तफा को सुप्रीम लीडर नहीं बनाए जाने की वजह ये है कि उन्हें धर्म का उतना ज्ञान नहीं है। वह लोगों से मिलते हैं और भाषण भी देते हैं। जबकि उनके छोटे भाई मुजतबा अपने पिता आयतुल्लाह अली खामेनेई की तरह ही इस्लामिक मामलों के जानकार हैं।

कौन हैं मुजतबा खामेनेई 

मुजतबा पहली बार 2009 में दुनिया की नजरों में आए। उन्होंने ईरान में जारी विरोध प्रदर्शनों को सख्ती से कुचला, जिसमें कई लोग मारे गए। तब राष्ट्रपति चुनाव में कट्टरपंथी नेता महमूद अहमदीनेजाद को सुधारवादी नेता मीर होसैन मौसवी पर जीत मिली थी। सुधारवादी नेताओं ने दावा किया कि चुनाव में भारी पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। इसके बाद लाखों लोग सड़कों पर उतर आए थे। इसे ’ईरानी ग्रीन मूवमेंट’ का नाम दिया गया। यह दो साल तक चला, लेकिन ईरानी सरकार ने इसे बल प्रयोग करके दबा दिया था। कहा गया था कि इसके पीछ मुजतबा खामेनेई का दिमाग है।

मुजतबा एक रहस्यमयी शख्स

मुजतबा खामेनेई को पिछले 2 साल से सुप्रीम लीडर बनाने की तैयारियां चल रही थी। मुजतबा के सरकार में किसी पद पर न होने के बाद भी जरूरी फैसलों में लगातार उनकी भागीदारी बढ़ती देखी गई। रिपोर्ट के मुताबिक मुजतबा एक रहस्यमयी शख्स हैं। वह बहुत कम अवसरों पर नजर आते हैं। वे पिता की तरह सार्वजनिक भाषण नहीं देते। कहा जाता है कि ईरान की खुफिया और दूसरी सरकारी एजेंसियों में मुजतबा के लोग बैठे हुए हैं। ईरान में इब्राहिम रईसी के राष्ट्रपति बनने के बाद मुजतबा का कद काफी बढ़ गया। मुजतबा को रईसी के उत्तराधिकारी यानी कि ईरान के राष्ट्रपति पद के लिए तैयार किया जा रहा था, लेकिन रईसी की मौत के बाद इसमें बदलाव आ गया।

1989 में बने थे ईरान के सुप्रीम लीडर

1989 में रुहोल्लाह खुमैनी के निधन के बाद से आयतुल्ला अली खामेनेई ईरान के सर्वोच्च नेता के पद पर काबिज हैं। ईरान में 1979 की इस्लामी क्रांति के दौरान, जब शाह मोहम्मद रजा पहलवी को हटाया गया तो खामेनेई ने क्रांति में बड़ी भूमिका निभाई थी। इस्लामिक क्रांति के बाद खामेनेई को 1981 में राष्ट्रपति बनाया गया। वह 8 साल तक इस पद पर रहे। खामेनेई को पद देने के लिए नियम में बदलाव किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अयातुल्ला धर्मगुरू की एक पदवी है। ईरान के इस्लामिक कानून के मुताबिक, सुप्रीम लीडर बनने के लिए अयातुल्ला होना जरूरी है। यानी कि सुप्रीम लीडर का पद सिर्फ एक धार्मिक नेता को ही मिल सकता है।

कैसे होता है ईरान के सुप्रीम लीडर का चुनाव

खामेनेई को सुप्रीम लीडर बनाने के लिए कानून में संसोधन किया गया था क्योंकि वे धार्मिक नेता नहीं थे। ईरान में सुप्रीम लीडर का पद राजनीतिक और धार्मिक व्यवस्था में सबसे बड़ा है। इसका अधिकार राष्ट्रपति से भी ज्यादा है। सुप्रीम लीडर को देश के सैन्य, न्यायिक, और धार्मिक मामलों में फैसले लेना अधिकार होता है। उसके फैसले को कोई भी चुनौती नहीं दे सकता। ईरान से जुड़े किसी भी जरूरी मुद्दे पर सुप्रीम नेता का फैसला ही आखिरी माना जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान में सुप्रीम लीडर का चयन असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स करती है। ईरान में सुप्रीम लीडर बनने के लिए इनका दो-तिहाई वोट हासिल करना जरूरी है। असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स 86 मौलवियों का एक समूह है। हर 8 साल में इनका चुनाव होता है।

Tags: americaAyatollah Ali KhameneiDonald TrumpIranIsraelIsrael Iran WarMujtaba Khamenei
Share196Tweet123Share49
Previous Post

Breaking News : आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया गैंगस्टर लॉरेंस का भाई अनमोल बिश्नोई

Next Post

Aaj Ka Rashifal 19 November 2024 : आज चमकेगी किस्मत, बिजनेस में फायदा, खास मुलाकात से बढ़ेगी तरक्की की राह, जानें क्या कहता है आपका राशिफल

Digital Desk

Digital Desk

Next Post
Aaj Ka Rashifal 19 November 2024 : आज चमकेगी किस्मत, बिजनेस में फायदा, खास मुलाकात से बढ़ेगी तरक्की की राह, जानें क्या कहता है आपका राशिफल

Aaj Ka Rashifal 19 November 2024 : आज चमकेगी किस्मत, बिजनेस में फायदा, खास मुलाकात से बढ़ेगी तरक्की की राह, जानें क्या कहता है आपका राशिफल

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

news 1 india

Copyright © 2017 JNews.

Navigate Site

  • About
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact

Follow Us

No Result
View All Result
  • Home
  • News
    • Politics
    • Business
    • World
    • Science
  • Entertainment
    • Gaming
    • Music
    • Movie
    • Sports
  • Tech
    • Apps
    • Gear
    • Mobile
    • Startup
  • Lifestyle
    • Food
    • Fashion
    • Health
    • Travel

Copyright © 2017 JNews.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

Go to mobile version