भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं सागर जिले की खुरई विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से लेकर सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने शुक्रवार को प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को अपना इस्तीफा भेजा है, जिसमें उन्होंने नाराजगी जताते हुए अपने विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ हो रहे बर्ताव का जिक्र किया है।
बुंदेलखंड से नाता रखने वाले चौबे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी माने जाते हैं। वर्तमान में वे पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, टीकमगढ़ के जिला प्रभारी थे। उन्होंने शुक्रवार को कमलनाथ को भेजे अपने इस्तीफा में उल्लेख किया है कि मैं 30 साल से निरंतर कांग्रेस की सेवा कर रहा हूं, परंतु हाल ही में हमारे खुरई विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ जो बर्ताव हुआ है, उससे मैं व खुरई विधानसभा क्षेत्र के सभी कार्यकर्ता दुखी हैं। अत: मैं प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, प्रभारी जिला टीकमगढ़ व प्रदेश कांग्रेस सदस्य के पद से इस्तीफा दे रहा हूं।
उल्लेखनीय है कि अरुणोदय चौबे बुंदेलखंड क्षेत्र के दबंग नेता माने जाते हैं। उन्होंने वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में खुरई सीट से प्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह हराया था। इसके बाद वे वर्ष 2013 और 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में मंत्री भूपेंद्र सिंह से चुनाव हार गए थे। वर्ष 2013 में चुनाव के दौरान 28 दिसंबर 2013 को खुरई के विनायठा गांव में हुई भैयालाल दांगी की हत्या के मामले में पूर्व विधायक चौबे सहित 11 लोगों पर धारा 302 एवं अन्य धाराओं से मामला दर्ज हुआ था। बाद में इस मामले में सभी लोग बरी हो गए।
उन्होंने भाजपा के खिलाफ कई आंदोलन भी किए। कुछ समय पहले सेल्फी प्वाइंट तोड़ने के मामले को लेकर हुए विवाद में चौबे पर धारा 307 के तहत प्रकरण दर्ज हुआ था। जिसमें वह फरार चल रहे थे। उनके खिलाफ प्रशासनिक स्तर पर हुई कार्रवाई और राजनीतिक विद्वेष के चलते उन पर थोपे गए मामलों में कांग्रेस उनके साथ खड़ी कम ही नजर आई। इस मामले की बाद से ही वे कांग्रेस से खफा थे और तभी से उनके कांग्रेस छोड़ भाजपा में आने की अटकलें चलने लगी थीं। अब उन्होंने कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें फिर जोर पकड़ने लगी हैं। संभावना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर वे भाजपा का दामन थाम सकते हैं।