नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। बीजेपी सांसद संबित पात्रा बृहस्पतिवार को मीडिया से मुखातिब हुए और राहुल गांधी पर तीखा जुबानी हमला बोला।एलओपी पर सनसनीखेज आरोप लगाते हुए और उन्हें उच्च दर्जे का गद्दार बताया। इस मौके पर संबित पात्रा ने त्रिकोण का पर्दाफाश किया। बीजेपी सांसद ने त्रिकोण का मुखिया अमेरिका के जॉर्ज सोरोस और अमेरिका की कुछ एजेंसियांं को बताया। दूसरे नाम संबित पात्रा ने ओसीसीआरपी का लिया। जबकि तीसरे नंबर पर राहुल गांधी का जिक्र करते हुए उन्हें ’उच्च दर्जे का गद्दार’ कहा। बीजेपी नेता ने कहा, मैं ये शब्द कहने से नहीं डरता। मुझे लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष को गद्दार कहने में कोई झिझक नहीं है।
तो बता दें, जोर्ज सोरेस का
बीजेपी सांसद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि अगर कोई मीडिया संस्थान कुछ खुलासा करता है तो वो आयाम है कि ओसीसीआरपी की जो फंडिंग है उसका एक बड़ा हिस्सा ओपन सोसाइटी फाउंडेशन है। बांकि अमेरिका की बहुत ऐसी संस्थाएं हैं, कुछ सरकारी एजेंसियां भी हैं, जो इसे फंड देता है। अब ओपन सोसाइटी फाउंडेशन किसका है तो बता दें, जोर्ज सोरेस का है। सोरेस ओसीसीआरपी को बहुत पैसा देता है। जोर्ज सोरेस गलत खबरें प्रकाशित करवा भारत को बदनाम करने पर तुला है। जोर्ज सोरेस के संबंध किससे हैं। ये किसी को बताने की जरूरत नहीं हैं।
ओसीसीआरपी तटस्थ नहीं हो सकता
बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने कहा, ओसीसीआरपी तटस्थ नहीं हो सकता है। वो सामान्य रह ही नहीं सकता, जो पैसा देगा उसके हित में बात करेगा। ऐसे में ओसीसीआरपी सोरेस के हित में बात करता है। बीजेपी नेता ने कहा, मैं हवा में बात नहीं कर रहा हूं। जॉर्ज सोरोस ओपेन सोसाइटी को फंडिंग करते हैं। ये देश के खिलाफ प्रोपगेंडा फैलाते हैं। यह मुद्दा गंभीर है। कुछ ताकतें भारत को तोड़ना चाहती हैं। संबित पात्रा ने आगे कहा कि अगर हम इस मामले में सबसे अहम एंगल की बात करें तो वो राहुल गांधी हैं।
कौन हैं जार्ज सोरोस
जार्ज सोरोस का जन्म 1930 में हंगरी में हुआ था। यहूदी परिवार में जन्मे सोरोस हंगरी में नाजी कब्जे से बच निकले और 1947 में ब्रिटेन चले गए। उन्होंने लंदन स्कूल आफ इकोनामिक्स से पढ़ाई की। इसके बाद 1956 में वे न्यूयार्क चले गए और यूरोपीय प्रतिभूतियों के एनालिस्ट के रूप में काम शुरू किया। जार्ज सोरोस एक प्रमुख अमेरिकी व्यवसायी और निवेशक हैं। वह दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से हैं। उनकी कुल संपत्ति 6.7 अरब डालर है। सोरोस पर आरोप लगते रहे हैं कि वे राजनीति को आकार देने और सत्ता परिवर्तन के लिए अपने धन-बल और प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं।
पीएम मोदी- डोनाल्ड ट्रंप के कटु आलोचक
जार्ज सोरोस भारतीय पीएम नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कटु आलोचक रहे हैं। 2020 में दावोस में विश्व आर्थिक मंच के कार्यक्रम में उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए कहा था कि उनके राज में राष्ट्रवाद आगे बढ़ रहा है। फरवरी 2023 में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन से पहले सोरोस ने हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह की कंपनियों के शेयर बेचने पर बात की थी। उन्होंने मोदी की आलोचना करते हुए कहा था कि वे लोकतंत्रवादी नहीं हैं। अदाणी प्रकरण भारत में लोकतंत्र के पुनरुत्थान का कारण बन सकता है। इसको लेकर भारत में खूब हंगामा हुआ था।
क्या है ओसीसीआरपी संगठन
ओसीसीआरपी को आर्गनाइज्ड क्राइम ऐंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट के तौर पर जाना जाता है। संगठन दावा करता है कि दुनिया भर में उसके पास पत्रकारों का नेटवर्क है। संगठन अपने पत्रकारों के जरिए संगठित अपराध और करप्शन पर खोजी रिपोर्टिंग का दंभ भरता है। ओसीसीआरपी खुद को स्वतंत्र संगठन बताता है, लेकिन वह चलता कैसे है, इसको लेकर बड़ा झोल है। अमेरिकी सरकार से उसे भारी फंड मिलता है। फ्रेंच अखबार मीडिया पार्ट ने 2 दिसंबर को एक खोजी आर्टिकल में संगठन की पोल खोली है।
लड़ने’ के लिए 1,73,324 डॉलर दिए
अखबार ने अपने आर्टिकल में ओसीसीआरपी के बारे में कहा गया है कि उसके और अमेरिकी एजेंसियों के बीच गुप्त संबंध हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि खुद को स्वतंत्र संगठन बताने वाला ओसीसीआरपी के नीति नियंता अमेरिकी एजेंसियों के इशारे पर चलते हैं। फ्रांसीसी अखबार ने खुलासा किया कि अमेरिकी सरकार ने ओसीसीआरपी को ’वेनेजुएला में भ्रष्टाचार का खुलासा करने और उससे लड़ने’ के लिए 1,73,324 डॉलर दिए। वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की अमेरिकी सरकार से दुश्मनी जगजाहिर है।
गौतम अडानी को लेकर उपजा विवाद
दरअसल, यह विवाद तब गहराया जब गौतम अडानी और उनके भतीजे पर न्यूयॉर्क की एक अदालत में भारतीय राज्य सरकार के अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोप लगाए गए। आरोपों के मुताबिक उन्होंने सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी। हालांकि अडानी समूह और उनके वकील मुकुल रोहतगी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। इस घटनाक्रम ने बीजेपी को राहुल गांधी और कांग्रेस के खिलाफ अपनी आलोचना को और तीखा करने का मौका दिया है।
इनसे भी मिले थे राहुल गांधी
राहुल गांधी ने अपने अमेरिका दौरे के दौरान इल्हान उमर, वरिष्ठ राजनयिक डोनाल्ड लू और प्रमिला जयपाल से मुलाकात की थी। इल्हान उमर वही महिला है, जिन्होंने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत की कथित भूमिका की जांच को लेकर कनाडा का साथ देने की बात कही थी। उमर पीएम मोदी के संबोधन का बहिष्कार भी कर चुकी हैं। भारतीय मूल की अमेरिकी राजनेता प्रमिला जयपाल भी भारत के खिलाफ कई बार बयान दे चुकी हैं। प्रमिला जयपाल वही नेता हैं जिन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे का भी विरोध किया था।
तख्तापलट के महिर हैं लू
वहीं अमेरिका के वरिष्ठ राजनयिक डोनाल्ड लू का नाम हमेशा से ही तख्तापलट से जोड़कर देखा जाता रहा है। आरोप है कि लू ने पाकिस्तान में भी इमरान खान सरकार का तख्ता पलट करवाया था। कुछ महीने पहले बांग्लादेश में भी जब उस समय की मौजूदा पीएम शेख हसीना को जब सत्ता से हटाया गया तो इसके पीछे भी लू का ही हाथ बताया गया। खुद इमरान खान और शेख हसीना की पार्टी की तरफ से लू का नाम लिया गया।