Vice Presidential Election 2025:उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को गठबंधन की ओर से उम्मीदवार तय करने की पूरी जिम्मेदारी दी है। यह फैसला बृहस्पतिवार को भाजपा और सहयोगी दलों की एक अहम बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता राजनाथ सिंह ने की।
धनखड़ के इस्तीफे के बाद खाली हुआ पद
जगदीप धनखड़ ने जुलाई 2025 में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद चुनाव आयोग ने 9 सितंबर को मतदान की तारीख घोषित कर दी है। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 21 अगस्त रखी गई है।
उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल संभावित चेहरे
नीतीश कुमार
बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतीश कुमार का नाम सबसे चर्चित है। माना जा रहा है कि वह अगली पीढ़ी के लिए मुख्यमंत्री पद छोड़ सकते हैं और उपराष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। भाजपा सहयोगी चिराग पासवान भी इस संकेत को और मजबूत कर रहे हैं।
हरिवंश नारायण सिंह
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सिंह, जो लंबे समय से सरकार के विश्वसनीय साथी माने जाते हैं, भी इस रेस में हैं। उनका संसदीय अनुभव और संयमित छवि उनके पक्ष में जाती है।
रामनाथ ठाकुर
कर्पूरी ठाकुर के बेटे और कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर का नाम भी संभावितों में है। वह नाई समुदाय से आते हैं, जो अति-पिछड़ा वर्ग माना जाता है। इस जातिगत समीकरण से एनडीए को राजनीतिक लाभ मिल सकता है।
वीके सक्सेना
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ सख्त रुख अपनाकर खुद को मजबूत प्रशासक साबित किया है। उनकी नियुक्ति की चर्चा तेज है।
मनोज सिन्हा
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का कार्यकाल 6 अगस्त को पूरा हो रहा है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद क्षेत्र में स्थिरता लाने में उनकी भूमिका अहम रही है। इसलिए उन्हें भी उपराष्ट्रपति पद के लिए उपयुक्त माना जा रहा है।
राजग को मिल रहा है बहुमत का साथ
राजग के पास दोनों सदनों में कुल 422 सांसदों का समर्थन है, जो बहुमत के आंकड़े 391 से कहीं ज्यादा है। ऐसे में एनडीए उम्मीदवार का चुना जाना लगभग तय माना जा रहा है।
चुनाव की प्रक्रिया और नियम
नामांकन की अंतिम तारीख 21 अगस्त है, जबकि जांच 22 अगस्त को होगी और नामांकन वापसी की तारीख 25 अगस्त तय की गई है। चुनाव गुप्त मतदान से होगा और एकल संक्रमणीय वोट प्रणाली के आधार पर उम्मीदवार चुना जाएगा।
उपराष्ट्रपति का महत्व
उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सबसे ऊंचा संवैधानिक पद होता है। राज्यसभा के सभापति के रूप में भी वे कार्य करते हैं। कार्यकाल पांच साल का होता है, लेकिन जब तक नया उपराष्ट्रपति पद ग्रहण नहीं करता, तब तक वर्तमान पदाधिकारी कार्यरत रह सकता है।