Hindu citizenship law demand-सनातन धर्म के शास्त्रों के अनुसार, जम्बूद्वीप में भारत भूमि सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह धर्म की दृष्टि से कर्मभूमि है, जहां धार्मिक क्रियाएं फल देती हैं। ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि यहां जन्म लेना सौभाग्य की बात है। ऐसा जन्म हजारों पूर्वजन्मों के पुण्यों के फलस्वरूप मिलता है। उन्होंने कहा कि भारत का कानून उन हिंदुओं के लिए पीड़ादायक है, जिन्हें किसी कारणवश दूसरे देश की नागरिकता लेनी पड़ती है।
विदेशों में परेशान हिंदू कहां जाए
परम धर्म संसद में शंकराचार्य ने कहा कि हिंदू पूरे विश्व में अपनी मेहनत और योगदान से दुनिया को संवारता है। लेकिन जब वह कहीं परेशान होता है, तो उसके पास कहीं जाने का विकल्प नहीं होता। ईसाईयों के पास पचीसों देश हैं, मुसलमानों के पास पचासों। लेकिन एक हिंदू अगर वह बांग्लादेश में केवल ‘हिंदू’ होने के कारण सताया जाता है और अपनी जान बचाने के लिए भारत आना चाहता है, तो उसे सीमा पर ही रोक दिया जाता है।
बांग्लादेशी हिंदुओं की दयनीय स्थिति
बांग्लादेश में हिंदुओं को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। वे अपना धर्म छोड़ने को मजबूर किए जा रहे हैं। ऐसे में अगर कोई हिंदू अपनी जान बचाने के लिए भारत आना चाहता है, तो भारतीय सेना और पुलिस उन्हें वापस बांग्लादेश भेज देती है। यह स्थिति न केवल दुखद है, बल्कि बेहद चिंताजनक भी है।
नागरिकता कानून में बदलाव की मांग
शंकराचार्य ने कहा कि परम धर्म संसद भारत सरकार से मांग करती है कि संविधान में संशोधन किया जाए। ऐसा कानून बने जिससे पूरे विश्व में प्रताड़ित हिंदुओं को भारत में बसने का अधिकार मिले। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत में आने के एक साल के भीतर ऐसे लोगों को भारतीय नागरिकता दे दी जाए।
हिंदुओं के लिए सुरक्षा के प्रावधान
शंकराचार्य ने कहा कि यह भारत सरकार की जिम्मेदारी है कि वह हिंदुओं के लिए एक सुरक्षित वातावरण तैयार करे। भारत को उन सभी हिंदुओं के लिए आश्रयस्थल बनना चाहिए, जो अपने देश में असुरक्षित महसूस करते हैं।