Naini Jail News: प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में बंद माफिया अतीक अहमद के बेटे अली अहमद की हाई-सिक्योरिटी बैरक से 17 जून को नकदी और प्रतिबंधित सामान बरामद होने से जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया है। डीआईजी जेल राजेश कुमार श्रीवास्तव के नेतृत्व में हुई औचक तलाशी में 1100 रुपये नकद और कुछ आपत्तिजनक वस्तुएं मिलीं। जेल नियमों के तहत कैदियों को नकदी रखना प्रतिबंधित है, ऐसे में अली तक ये सामान कैसे पहुंचा—यह बड़ा सवाल बन गया है। प्रथम दृष्टया लापरवाही के चलते डिप्टी जेलर कांति देवी और हेड वार्डन संजय द्विवेदी को निलंबित कर दिया गया है और मामले की गहन विभागीय जांच शुरू हो गई है।
माफिया अतीक के बेटे अली अहमद की बैरक से नकदी बरामद, नैनी जेल प्रशासन में हड़कंप, डिप्टी जेलर और हेड वार्डन सस्पेंड pic.twitter.com/lNjye30g5Z
— निशीकांत त्रिवेदी 🇮🇳 (@nishikantlive) June 19, 2025
तलाशी में उजागर हुई सुरक्षा चूक
17 जून की सुबह डीआईजी जेल राजेश श्रीवास्तव के नेतृत्व में नैनी सेंट्रल जेल में औचक निरीक्षण हुआ। जब अली अहमद की हाई-सिक्योरिटी बैरक की तलाशी ली गई, तो 1100 रुपये नकद और कुछ प्रतिबंधित सामग्री बरामद हुई। जेल नियमों के मुताबिक, कैदियों को केवल कूपन के माध्यम से ही कैंटीन से सामान खरीदने की अनुमति होती है। अली ने न तो कूपन खरीदे थे और न ही उनके पास इसका कोई वैध आधार था, जिससे स्पष्ट है कि यह मामला जेल सुरक्षा में सेंध का है। सीसीटीवी फुटेज में एक जेलकर्मी को संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त पाया गया, जिसके आधार पर तत्काल कार्रवाई हुई।
प्रशासनिक कार्रवाई और जांच
Naini Jail प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए 18 जून की रात डिप्टी जेलर कांति देवी और हेड वार्डन संजय द्विवेदी को निलंबित कर दिया। साथ ही डीआईजी राजेश श्रीवास्तव ने जेलर, डिप्टी जेलर सहित अन्य कर्मियों की भूमिका की जांच के आदेश दिए हैं। पूरी घटना की विभागीय जांच शुरू की गई है जिसमें यह पता लगाया जाएगा कि नकदी और प्रतिबंधित सामान अली तक किस माध्यम से और किसकी मिलीभगत से पहुंचा। यह भी देखा जा रहा है कि क्या जेल के भीतर माफिया की गतिविधियां अब भी संगठित रूप से चल रही हैं।
अली अहमद का आपराधिक प्रोफाइल
अली अहमद, माफिया अतीक अहमद का दूसरा बेटा, 30 जुलाई 2022 से नैनी जेल में बंद है। वह उमेश पाल हत्याकांड सहित रंगदारी, अपहरण और गैंगस्टर एक्ट के तहत कई मामलों में आरोपी है। 2024 में प्रयागराज जिला अदालत ने अली और उसके भाई उमर पर आरोप तय किए थे। अली को IS-227 गैंग का सक्रिय सदस्य घोषित किया गया है और उस पर कई मुकदमे चल रहे हैं। उनकी हर गतिविधि पर सीसीटीवी से निगरानी रखी जाती है, फिर भी इस तरह की बरामदगी होना प्रशासनिक निगरानी पर सवाल उठाता है।
Naini Jail की हालत और माफिया प्रभाव
Naini Jail सेंट्रल की क्षमता 2060 कैदियों की है, लेकिन यहां 4190 कैदी बंद हैं। यह जेल अतीक अहमद और उनके नेटवर्क का प्रमुख केंद्र मानी जाती रही है। रिटायर्ड जेल अधीक्षक एचबी सिंह के अनुसार, अतीक के करीब 400-500 गुर्गे इस जेल में बंद हैं। बीते वर्षों में यहां से पिस्टल, मोबाइल, और अन्य सुविधाओं की बरामदगी हो चुकी है। 2023 में अतीक और अशरफ की हत्या के बाद भी अली की हरकतें चर्चा में आई थीं। अब इस ताजा घटना ने फिर दिखा दिया है कि जेल के भीतर अपराधियों का दबदबा खत्म नहीं हुआ।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और भविष्य की राह
घटना के बाद विपक्षी दलों ने सरकार की जेल सुधार नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं। सोशल मीडिया पर भी प्रशासन की भूमिका पर तीखी टिप्पणियां की जा रही हैं। सरकार की ओर से इसे एक “अलग-थलग घटना” बताया गया है, लेकिन दबाव बढ़ता जा रहा है कि जेल व्यवस्था में पारदर्शिता और सख्ती लाई जाए। विभागीय जांच की रिपोर्ट के बाद अली पर नई धाराएं लगाई जा सकती हैं और उनकी संपत्ति कुर्की की प्रक्रिया तेज हो सकती है। साथ ही, नैनी जेल में सुरक्षा उपायों को और कड़ा करने की मांग उठ रही है।
अली अहमद की बैरक से नकदी और प्रतिबंधित सामान की बरामदगी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जेलें माफियाओं के लिए “सेफ जोन” बन चुकी हैं। इस घटना से न केवल जेल प्रशासन की लापरवाही उजागर हुई है, बल्कि यह भी सिद्ध होता है कि अपराधी जेल के भीतर भी अपने नेटवर्क के जरिए सुविधाएं जुटा रहे हैं। इस दिशा में तत्काल और निर्णायक सुधार की आवश्यकता है।