The Mysterious Submerged Temple : हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में बसा ‘बाथू की लड़ी’ मंदिर एक अनोखी धार्मिक और ऐतिहासिक जगह है। ये मंदिर महाराणा प्रताप सागर झील यानी पोंग डैम के बीचों बीच स्थित है। हर साल मार्च से जून के बीच यह मंदिर पूरी तरह नजर आता है, बाकी समय ये झील के पानी में डूबा रहता है। यही वजह है कि इसे देखने का मौका हर समय नहीं मिलता।
मंदिर की खास बातें
पुराना इतिहास: ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 8वीं सदी में हिंदू शाही वंश के राजाओं ने करवाया था।
बनावट और मूर्तियां: यह मंदिर नागरा शैली की वास्तुकला में बना है और इसमें भगवान शिव, पार्वती, विष्णु, गणेश और देवी काली की मूर्तियां देखने को मिलती हैं।
बाथू पत्थर से बना: मंदिर को खास ‘बाथू’ पत्थर से तैयार किया गया है, जो बहुत मजबूत होता है और पानी में रहने के बावजूद खराब नहीं होता।
मंदिर से जुड़ी लोककथाएं
स्थानीय लोगों के मुताबिक, यह मंदिर पांडवों ने अपने अज्ञातवास के समय बनवाया था। माना जाता है कि वे यहां से स्वर्ग जाने के लिए सीढ़ियां बना रहे थे, लेकिन समय की कमी के कारण सीढ़ियां अधूरी रह गईं। आज भी मंदिर में वो अधूरी ‘स्वर्ग की सीढ़ियां’ देखी जा सकती हैं।
सीमित समय, अनगिनत श्रद्धालु
इस मंदिर के दर्शन पूरे साल नहीं किए जा सकते। इसलिए लोग बड़े ही सोच-समझकर अपने सफर की योजना बनाते हैं। मंदिर तक पहुंचना भी आसान नहीं होता लोग नाव, डोंगी, और कभी-कभी तैरकर भी मंदिर तक पहुंचते हैं। मगर इस सफर में जो कठिनाइयाँ होती हैं, वो ही इसे और खास बना देती हैं। मंदिर के पास पहुंचने से पहले भक्त शुद्धिकरण के रिवाज निभाते हैं ताकि उनका तन और मन साफ हो जाए।
पूजा-पाठ और आस्था की गहराई
मंदिर के अंदर पहुंचने पर भक्त भगवान के सामने सिर झुकाते हैं, प्रार्थना करते हैं और भोग चढ़ाते हैं। कई लोग यहां से पवित्र पानी साथ ले जाते हैं। उनका मानना है कि इसमें खास उपचार करने की ताकत होती है। ये मंदिर सिर्फ पूजा का स्थान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा है, जहां हर भक्त खुद को और अपने विश्वास को गहराई से समझता है।
प्रकृति के प्रेमियों के लिए भी खास जगह
यह मंदिर सिर्फ श्रद्धालुओं के लिए ही नहीं, बल्कि प्रकृति पसंद करने वालों के लिए भी बहुत खास है। पोंग डैम बर्ड सेंचुरी के पास होने की वजह से यहां सर्दियों में सैकड़ों प्रवासी पक्षी आते हैं। यहां 200 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां देखी जा सकती हैं, जिससे यह जगह पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग जैसी लगती है।
मंदिर तक कैसे पहुंचे?
नजदीकी हवाई अड्डा: धर्मशाला का गग्गल एयरपोर्ट सबसे पास है।
नजदीकी गांव: धामेटा और नागरोटा सुरियां गांव से नाव के जरिए मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग: कांगड़ा जिले की जवाली तहसील से सड़क मार्ग से भी मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
ध्यान देने वाली बातें
पोंग डैम बनने के बाद से यह मंदिर ज्यादातर समय पानी में डूबा रहता है, जिससे इसकी बनावट को नुकसान पहुंचने का खतरा बना रहता है। सरकार मंदिर को संरक्षित करने के प्रयास कर रही है, लेकिन अभी तक इसका संरक्षण पूरी तरह से नहीं हो पाया है।
‘बाथू की लड़ी’ एक ऐसा अनोखा मंदिर है जो सिर्फ गर्मियों में ही नजर आता है। यह धार्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक रूप से बेहद खास जगह है। अगर आप हिमाचल घूमने जा रहे हैं, तो इस जगह को अपनी लिस्ट में जरूर शामिल करें।
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