Clapping After Shiv Puja in Sawan: सावन का महीना शिवभक्तों के लिए बेहद खास होता है। इस पवित्र महीने में शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। मंदिरों में ‘ॐ नमः शिवाय’ और ‘हर हर महादेव’ की गूंज सुनाई देती है। इस माह में शिवजी की विशेष पूजा का महत्व होता है। पूजा के समय कई भक्त शिवलिंग के सामने तीन बार ताली बजाते हैं। बहुत से लोगों को यह सिर्फ एक परंपरा लगती है, लेकिन इसके पीछे एक गहरा धार्मिक अर्थ छुपा है।
क्यों बजाई जाती है तीन बार ताली?
ज्योतिषाचार्य व्यास के अनुसार, शिवजी के सामने तीन बार ताली बजाना सिर्फ एक रीति नहीं, बल्कि तीन अलग-अलग भावों को दर्शाने वाला कार्य है। ताली बजाने की परंपरा भगवान राम और रावण जैसे महान पात्रों से भी जुड़ी हुई है।
पहली ताली: यह ताली भगवान शिव को यह जताने के लिए होती है कि भक्त पूजा में उपस्थित है।
दूसरी ताली: इसमें भक्त शिवजी से यह प्रार्थना करता है कि उनके घर का भंडार हमेशा भरा रहे और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे।
तीसरी ताली: इस ताली में भक्त भगवान से क्षमा मांगते हैं और निवेदन करते हैं कि उन्हें शिवजी अपने चरणों में स्थान दें।
भगवान राम और रावण का भी संबंध
कहा जाता है कि लंकापति रावण जब शिवजी की पूजा करता था, तो वह भी अंत में तीन बार ताली बजाता था। इसी भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी ने उसे लंका का राज सौंपा था। एक कथा यह भी है कि जब भगवान राम लंका जाने के लिए समुद्र पर पुल बना रहे थे, तब उन्होंने पहले शिवलिंग बनाकर पूजा की। पूजा के बाद उन्होंने तीन बार ताली बजाई और तभी उनका काम सफल हुआ।
कब नहीं बजानी चाहिए ताली?
यह ज़रूरी है कि शिवलिंग के सामने हर समय ताली न बजाई जाए। शिवजी को ध्यान में लीन देवता माना जाता है, इसलिए पूजा में शांति बनाए रखना चाहिए। ताली या घंटी बजाना सिर्फ संध्यावंदन या विशेष पूजा के समय ही उचित माना गया है।
डिस्क्लेमर: यह लेख धार्मिक मान्यताओं और जनमान्य परंपराओं पर आधारित है। news1india इसकी पुष्टि नहीं करता। कृपया किसी भी धार्मिक कार्य से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।