Holi 2025 : होली का रंगारंग त्योहार खुशियों और उमंग से भर देता है, जहां लोग सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे को रंगों में सराबोर कर देते हैं। लेकिन भारत में कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहां यह त्योहार नहीं मनाया जाता। इन जगहों के लोग होली से दूरी बनाए रखते हैं और इसके पीछे धार्मिक आस्था और ऐतिहासिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं। जब 14 मार्च 2025 को पूरा देश रंगों में डूबा होगा, तब इन स्थानों पर होली की चहल-पहल देखने को नहीं मिलेगी। आइए जानते हैं इन जगहों और उनके पीछे छिपे कारणों के बारे में।
यहां 150 सालों से नहीं खेली जाती होली
रुद्रप्रयाग जिले के खुरजान और क्विली नामक गांवों में पिछले 150 वर्षों से होली का त्योहार नहीं मनाया जाता। स्थानीय निवासियों का मानना है कि उनकी कुल देवी को शोरगुल पसंद नहीं है। उनकी आस्था के अनुसार, यदि गांव में होली मनाई गई तो देवी अप्रसन्न हो सकती हैं और इससे गांव पर कोई संकट आ सकता है। इस भय और श्रद्धा के चलते यहां के लोग इस उत्सव से दूर रहते हैं।
इस गांव में 200 वर्षों से होली का बहिष्कार
गुजरात के रामसन (रामेश्वर) गांव में भी दो सदियों से होली नहीं मनाई गई है। इसका कारण दो मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। पहली मान्यता के अनुसार, करीब 200 साल पहले होलिका दहन के दौरान इस गांव में भयंकर आग लग गई थी, जिससे कई घर जलकर खाक हो गए थे। इस घटना के बाद से गांववालों ने होली मनाना छोड़ दिया। दूसरी मान्यता के मुताबिक, किसी समय यहां आए संतों ने गांववासियों से नाराज होकर श्राप दिया था कि यदि गांव में होलिका दहन होगा, तो भीषण आग लग सकती है। इस डर से लोगों ने इस त्योहार को पूरी तरह त्याग दिया।
इस गांव में 100 सालों से होली पर सन्नाटा
झारखंड के दुर्गापुर गांव में भी करीब 100 वर्षों से होली नहीं मनाई जाती। कहा जाता है कि एक राजा के बेटे की मृत्यु होली के दिन हुई थी, जिसके ठीक एक साल बाद राजा भी होली के दिन ही चल बसे। मरने से पहले राजा ने गांववालों से कहा कि वे भविष्य में होली न मनाएं। तब से लेकर आज तक, इस गांव के लोग इस त्योहार से दूरी बनाए हुए हैं। इन गांवों में आस्था, परंपरा और ऐतिहासिक घटनाओं के कारण होली नहीं मनाई जाती। हालांकि, पूरे देश में यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इन स्थानों पर इसे न मनाने की वजहें लोगों की धार्मिक मान्यताओं और पूर्वजों की परंपराओं से जुड़ी हुई हैं।