Importance of Shraddh in Pitru Paksha:पितृ पक्ष के ये 15 दिन पूरी तरह से हमारे पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने के लिए समर्पित होते हैं। इस दौरान लोग अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं ताकि उनकी आत्मा तृप्त हो सके। कई बार मन में यह सवाल उठता है कि अगर पितृ पक्ष में श्राद्ध न किया जाए तो क्या पूर्वज नाराज़ होकर श्राप दे देते हैं? आइए जानते हैं इस विषय पर हिंदू धर्म की मान्यताएँ।
पितरों का श्राद्ध न करने से क्या होता है?
धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज 15 दिनों के लिए धरती पर आते हैं। वे अपने वंशजों से उम्मीद करते हैं कि उनका श्राद्ध और तर्पण किया जाए ताकि उन्हें शांति मिल सके। यदि श्राद्ध नहीं किया जाता, तो वे दुखी होकर वापस अपने लोक लौट जाते हैं और नाराज़ होकर श्राप दे सकते हैं। इसी कारण हर साल पितृ पक्ष में श्राद्ध करना आवश्यक माना गया है ताकि पूर्वजों का आशीर्वाद बना रहे।
क्या कहता है मार्कण्डेय पुराण
मार्कण्डेय पुराण में कहा गया है कि जिस परिवार में श्राद्ध नहीं होता, वहाँ दीर्घायु, निरोग और वीर संतान का जन्म नहीं होता। साथ ही परिवार में मंगल कार्य भी रुक सकते हैं। इसी तरह गरुड़ पुराण के अनुसार, यदि श्राद्ध नहीं किया जाए तो दिवंगत आत्माएँ प्रेत योनि में भटक सकती हैं, जिससे घर में परेशानियाँ और संकट बढ़ सकते हैं। इसे पितृ दोष कहा जाता है, जो सेहत, धन और रिश्तों पर नकारात्मक असर डालता है।
पितृ दोष और उससे बचाव
मान्यता है कि श्राद्ध न करने से पितरों की आत्मा तृप्त नहीं हो पाती। इससे असंतोष पैदा होता है और पितृ दोष लग जाता है। पितृ दोष के कारण घर में आर्थिक संकट, स्वास्थ्य समस्याएँ, मानसिक तनाव और संतान से जुड़ी कठिनाइयाँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए हर साल पितृ पक्ष में श्राद्ध करना जरूरी माना गया है ताकि पूर्वजों की आत्मा को शांति मिले और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहे।
क्यों जरूरी है श्राद्ध?
पितृ पक्ष का उद्देश्य सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान करना नहीं है, बल्कि यह हमारे पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान प्रकट करने का समय है। श्राद्ध से पूर्वजों को शांति मिलती है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देकर घर में सुख-समृद्धि का संचार करते हैं। साथ ही यह परंपरा परिवार को जोड़ती है और आध्यात्मिक संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।
इसलिए, पितृ पक्ष में श्राद्ध करना न केवल धार्मिक कर्तव्य है बल्कि परिवार की खुशहाली, सेहत और मानसिक शांति के लिए भी जरूरी हैं
Disclaimer:यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। व्यक्तिगत विश्वास अलग हो सकते हैं। न्यूज1 इंडिया केवल जानकारी साझा कर रहा है, इसकी सटीकता का दावा नहीं करता। कृपया पाठक अपने विवेक का इस्तेमाल करें