Indian mythology cities भारत एक ऐसा देश है, जहां हर शहर और जगह के पीछे कोई न कोई रोचक कहानी या पौराणिक महत्व जरूर होता है। यहां कुछ शहर ऐसे भी हैं जिनके नाम सुनकर शायद आप चौंक जाएं, क्योंकि इनके नाम राक्षसों के नाम पर रखे गए हैं। अगर आप इस गर्मी किसी ऐतिहासिक या पौराणिक जगह घूमने की सोच रहे हैं, तो इन जगहों को जरूर अपनी लिस्ट में शामिल करें। ये शहर सिर्फ कहानियों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि आज भी इनसे जुड़ी परंपराएं और मान्यताएं वहां मौजूद हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ खास शहरों के बारे में जिनके नाम राक्षसों से जुड़े हुए हैं।
मैसूर, महिषासुर की धरती
मैसूर शहर का नाम एक राक्षस महिषासुर के नाम पर रखा गया है। कहा जाता है कि महिषासुर एक शक्तिशाली राक्षस था जिसने देवताओं को बहुत परेशान किया। देवी चामुंडा ने उससे युद्ध किया और अंत में उसका वध किया। जिस स्थान पर यह युद्ध हुआ, उसे महिषा-ऊरु यानी महिषासुर का स्थान कहा जाने लगा। यही नाम धीरे-धीरे बदलकर मैसूर हो गया। 2014 में इसका आधिकारिक नाम मैसुरु कर दिया गया।
जालंधर, असुर जलंधर की कहानी
पंजाब का प्रसिद्ध शहर जालंधर भी एक राक्षस जलंधर के नाम पर है। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि जलंधर बहुत ही ताकतवर असुर था। उसकी पत्नी वृंदा के पतिव्रता धर्म की वजह से भगवान विष्णु भी सीधे उसे नहीं मार सके। आखिरकार, विष्णु ने छल का सहारा लिया और जलंधर को मारा गया। आज यह शहर पंजाब का प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र है।
गया, गयासुर की भूमि
बिहार का गया शहर असुर गयासुर के नाम पर है। मान्यता है कि गयासुर ने भगवान से यह वरदान लिया था कि जहां उसका शरीर रखा जाएगा, वह स्थान पवित्र हो जाएगा। देवताओं ने उसका शरीर एक स्थान पर स्थिर कर दिया और वह जगह गया कहलाने लगी। यही कारण है कि गया को पिंडदान के लिए सबसे पवित्र स्थल माना जाता है।
पलवल, पलंबासुर का अंत
हरियाणा का पलवल शहर पहले पलंबपुर कहा जाता था, जिसका नाम असुर पलंबासुर के नाम पर पड़ा। वह एक ताकतवर राक्षस था जिसे भगवान बलराम ने मारा था। उसके अंत के बाद यह क्षेत्र पलंबपुर और फिर समय के साथ पलवल कहलाने लगा। आज यह एक प्रमुख रेलवे स्टेशन और हरियाणा का अहम शहर है।
तिरुचिरापल्ली,थिरिसिरन से जुड़ी कथा
तमिलनाडु का तिरुचिरापल्ली शहर राक्षस थिरिसिरन से जुड़ा है। कहा जाता है कि थिरिसिरन ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी और उनसे वरदान पाया था। उस समय इस जगह को थिरिसिकरपुरम कहा जाता था, जो बाद में तिरुचिरापल्ली बन गया। यह शहर आज तमिलनाडु का सांस्कृतिक और शैक्षिक केंद्र माना जाता है।
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