Dev Diwali : देव दिवाली, जिसे देव दीपावली भी कहा जाता है, भारत में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। इसे विशेष रूप से कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवताओं की दिवाली के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था, जिससे देवताओं को मुक्ति मिली और उन्होंने खुशी में दीप जलाए। इस पवित्र दिन को लेकर विशेष मान्यता है कि देवता स्वयं धरती पर आकर इन दीपों की रोशनी में उत्सव मनाते हैं।
देव दिवाली की विशेषता
देव दिवाली का विशेष रूप से वाराणसी से है, जिसे इस पर्व का मुख्य स्थल माना जाता है। यहां की गंगा घाटों पर हजारों दीयों की रोशनी से पूरे क्षेत्र को रोशन किया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, देव दिवाली के दिन गंगा स्नान और दीपदान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी पापों का नाश होता है। वाराणसी के अलावा प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और अन्य धार्मिक स्थलों पर भी इस दिन दीप जलाने की परंपरा है।
कहां-कहां पर और कितने दीये जलाए जाते हैं?
वाराणसी
गंगा के तट पर स्थित वाराणसी में इस दिन लगभग दस लाख से अधिक दीप जलाए जाते हैं। दशाश्वमेध घाट, मणिकर्णिका घाट और अस्सी घाट जैसे प्रमुख घाटों को हजारों दीयों की रोशनी से सजाया जाता है। गंगा आरती के दौरान हजारों श्रद्धालु यहां एकत्र होकर दीपदान करते हैं।
प्रयागराज
संगम नगरी प्रयागराज में भी देव दिवाली की रौनक देखने लायक होती है। यहां लोग संगम पर दीप जलाते हैं और गंगा-यमुना के किनारे दीपदान करते हैं, जो अलौकिक दृश्य प्रस्तुत करता है।
हरिद्वार
हरिद्वार में गंगा के घाटों पर विशेष पूजा अर्चना और दीपदान का आयोजन किया जाता है। यहाँ पर श्रद्धालु बड़ी संख्या में एकत्रित होकर दीप जलाते हैं और मां गंगा से सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
उज्जैन
महाकाल की नगरी उज्जैन में देव दिवाली का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। क्षिप्रा नदी के किनारे भक्तजन दीये जलाते हैं और इसे एक उत्सव के रूप में मनाते हैं।
कैसे करें देव दिवाली पर दीपदान?
देव दिवाली पर विशेष रूप से पांच, सात, ग्यारह, इक्कीस, और 108 दीये जलाए जाते हैं। इसे लेकर मान्यता है कि जितने अधिक दीये जलाए जाते हैं, जीवन में उतनी ही खुशहाली और समृद्धि आती है। घर में पूजा स्थल, दरवाजे, आंगन और गंगा नदी या अन्य पवित्र नदियों के किनारे दीप जलाने का विशेष महत्व है। लोग इस दिन तुलसी के पौधे के नीचे, आंगन में और घर के चारों ओर दीप जलाते हैं, ताकि नकारात्मकता का नाश हो और सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सके।
देव दिवाली का महत्व
धार्मिक दृष्टि से देव दिवाली को पवित्र दिन माना गया है। इस दिन गंगा स्नान का महत्व है और माना जाता है कि देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा, दीप जलाने से घर में सुख-समृद्धि आती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। देव दिवाली का उद्देश्य जीवन में प्रकाश और ज्ञान का स्वागत करना है, ताकि जीवन में सभी बाधाएं दूर हो सकें और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त हो।
देव दिवाली का त्योहार भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का एक अनूठा उदाहरण है। हजारों दीपों की रोशनी में मनाई जाने वाली इस देवों की दिवाली में श्रद्धालु अपने आराध्य देवताओं को स्मरण करते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। दीपों से सजे गंगा घाट और देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने की यह परंपरा भारत की प्राचीन संस्कृति और आस्था को जीवित रखे हुए है।