Religious News: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों में दीपक जलाना बेहद महत्वपूर्ण होता है। यह सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि अज्ञानता से ज्ञान की ओर जाने का प्रतीक भी है। दीपक की ज्योति नेगेटिविटी को दूर करती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। यही कारण है कि पूजा-पाठ और मांगलिक कार्यों में दीपक जलाना अनिवार्य माना गया है।
प्राचीन समय से चली आ रही परंपरा
दीपक जलाने की परंपरा ऋग्वेद काल से लेकर आज तक चली आ रही है। वेदों में अग्नि को देवता माना गया है। मान्यता है कि दीपक की रोशनी अंधकार यानी अज्ञानता को दूर करती है और ज्ञान का प्रकाश फैलाती है। यह ईश्वर के प्रकाश और उनकी शक्ति का प्रतीक है।
सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत
पूजा के दौरान दीपक जलाने से घर और मन दोनों में पॉजिटिविटी आती है। शास्त्रों के अनुसार, दीपक की ज्योति देवताओं को प्रसन्न करती है और उन्हें आकर्षित करती है। यह शुभता और उज्ज्वल भविष्य का संकेत भी देता है। रोजाना पूजा के समय घी का दीपक जलाने से सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
घी और तेल के दीपक का महत्व
घी का दीपक सात्विक पूजा के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इसे पंचामृत का हिस्सा माना गया है। घी का दीपक जलाने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है और हर तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वहीं, तांत्रिक पूजा के लिए तेल का दीपक जलाना उपयोगी माना जाता है।
दीपक और पांच तत्व
मिट्टी का दीपक पांच तत्वों से मिलकर बना होता है। मिट्टी से इसे तैयार करना धरती और पानी का प्रतीक है। इसे हवा में सुखाना और आग में तपाना वायु और अग्नि का प्रतीक है। इस प्रकार, दीपक प्रकृति के पांचों तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है।
अन्य धर्मों में दीपक का महत्व
हिंदू धर्म के अलावा, बौद्ध और सिख धर्म में भी दीपक जलाने का महत्व है। बौद्ध धर्म में इसे बुद्ध के ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। सिख धर्म में गुरुद्वारों में दीपक जलाकर ज्ञान और सत्य का प्रतीक दर्शाया जाता है।
दीपक का जीवन से संबंध
दीपक जलाना हमें यह सिखाता है कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा हो, प्रकाश की ओर बढ़ना ही जीवन का असली उद्देश्य है। यह परंपरा हमें जीवन में सकारात्मक सोच और नई शुरुआत करने की प्रेरणा देती है