Mahashivratri 2025 : महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर पूरे देश में भक्तिभाव का माहौल देखने को मिल रहा है। शिव मंदिरों में सुबह से ही जलाभिषेक के लिए लंबी कतारें लगी हैं। ऐसे में देश के 12 ज्योतिर्लिंगों को भव्य रूप से सजाया गया है, वहीं काशी और उज्जैन में विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है। भगवान शिव को दूल्हे के रूप में सजाया गया है, क्योंकि मान्यता है कि इसी दिन शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। साथ ही, इस दिन भगवान शिव ने निराकार रूप से साकार रूप में प्रकट होकर भक्तों को दर्शन दिए थे।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, शिव की पूजा के बाद नंदी महाराज की भी पूजा की जानी चाहिए। खास बात यह है कि पूजा के दौरान नंदी के कानों में अपनी इच्छाएं कहने की परंपरा है। शास्त्रों के अनुसार, मनोकामना कहने से पहले “ॐ” का उच्चारण करना अनिवार्य होता है, जिससे नंदी ध्यानपूर्वक भक्त की बात सुनते हैं और फिर भगवान शिव तक उसे पहुंचाते हैं।
क्या है पौराणिक कथा?
एक प्राचीन कथा के अनुसार, स्वयं भगवान शिव ने नंदी को यह वरदान दिया था कि जो भी व्यक्ति उनके कान में अपनी मनोकामना कहेगा, उसकी इच्छा शिव तक पहुंचेगी और पूर्ण होगी। यही कारण है कि भक्त नंदी के कान में अपनी मनोकामना व्यक्त करते हैं।
एक अन्य कथा के अनुसार, नंदी भगवान शिव के परम भक्त और उनके विश्वासपात्र सेवक हैं। एक बार, एक ऋषि ने नंदी से कहा कि वह अत्यंत सौभाग्यशाली हैं, क्योंकि वह सदैव शिव के समीप रहते हैं। इस पर नंदी ने उत्तर दिया कि यह महादेव की कृपा का ही परिणाम है। ऋषि ने फिर पूछा कि क्या वे अपनी इच्छाएं भगवान शिव को बताते हैं? नंदी ने उत्तर दिया कि वे केवल शिव की बातें सुनते हैं, परंतु स्वयं उनसे अपनी इच्छाएं नहीं कह सकते।
इस पर ऋषि ने सुझाव दिया कि भक्त अपनी इच्छाएं नंदी के कान में कहें, जिससे वे भगवान शिव तक पहुंच सकें। नंदी ने इसे स्वीकार किया और तभी से यह परंपरा चली आ रही है।
कैसे कहें नंदी के सामने अपनी मनोकामना ?
यदि कोई व्यक्ति नंदी के कान में अपनी इच्छा व्यक्त करना चाहता है, तो उसे पहले विधिपूर्वक नंदी महाराज की पूजा करनी चाहिए। दीपक जलाकर, भोग अर्पित करके “ॐ” का उच्चारण करते हुए अपनी मनोकामना नंदी के कान में कहनी चाहिए। मान्यता है कि यदि कोई अपनी इच्छा नंदी के बाएं कान में कहता है, तो वह शीघ्र ही भगवान शिव तक पहुंचती है और पूर्ण होती है।