Mahesh Navami 2025: महेश नवमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। यह पर्व खासकर माहेश्वरी समुदाय द्वारा बड़े उत्साह और श्रद्धा से मनाया जाता है। महेश नवमी ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है और व्रत रखकर उनकी कृपा प्राप्त की जाती है।
महेश नवमी कब है?
पंचांग के अनुसार, महेश नवमी 2025 में 4 जून को मनाई जाएगी। नवमी तिथि 3 जून की रात 9:56 बजे से शुरू होकर 4 जून की देर रात 11:54 बजे तक रहेगी। चूंकि सनातन धर्म में उदया तिथि का महत्व है, इसलिए 4 जून को महेश नवमी का पर्व मनाया जाएगा। इसके अगले दिन गंगा दशहरा का त्योहार होगा।
महेश नवमी का शुभ मुहूर्त
4 जून 2025 को शुभ और शुक्ल योग भी बन रहा है। दोपहर 2:27 बजे तक शिववास योग रहेगा, जो भगवान शिव और माता पार्वती के कैलाश पर्वत पर विराजमान होने का योग है। इस समय पूजा, रुद्राभिषेक और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
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महेश नवमी का महत्व
माहेश्वरी समुदाय के लिए महेश नवमी बहुत खास है। मान्यता है कि इसी दिन इस समुदाय की स्थापना हुई थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती ने उनके पूर्वजों को राक्षस से बचाया और हिंसा छोड़कर व्यापार करने की शिक्षा दी। इसी कारण से माहेश्वरी समाज की शुरुआत हुई।
यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पवित्र विवाह के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन भक्त विशेष पूजा और व्रत करके सुख-समृद्धि, संतान प्राप्ति और वैवाहिक सुख की कामना करते हैं। नवविवाहित जोड़े भी इस दिन विशेष पूजा करते हैं ताकि उनका वैवाहिक जीवन खुशहाल रहे।
महेश नवमी की पूजा विधि
महेश नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। स्नान में गंगाजल मिलाकर शुद्धता बनाए। साफ कपड़े पहनें और घर के मंदिर को फूल, रंगोली और दीपक से सजाएं। सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें, फिर भगवान शिव और माता पार्वती की स्थापना करें। शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें। शिव को बेलपत्र, धतूरा, भांग और मदार के फूल अर्पित करें। माता पार्वती को चंदन, कुमकुम और अक्षत चढ़ाएं। ‘ॐ नमः शिवाय’ और ‘ॐ उमायै नमः’ मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
रुद्राभिषेक भी इस दिन करवाया जाता है। पूजा के बाद सात्विक भोजन जैसे खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएं। दिन भर फलाहार करें, व्रत कथा सुनें और शाम को व्रत खोलें।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। News1india इसकी पुष्टि नहीं करता।