Mantangeshwar Temple : खजुराहो का रहस्यमयी मंदिर, यहां का शिवलिंग क्यों हर साल बढ़ता है जाने इसके पीछे की कहानी

खजुराहो का मतंगेश्वर मंदिर अपने हर साल बढ़ने वाले शिवलिंग के कारण रहस्य बना हुआ है। इसकी ऊंचाई तिल बराबर बढ़ती है, जिसे विज्ञान नहीं समझ पाया। माना जाता है कि जब यह पाताल पहुंचेगा, तब प्रलय आएगा।

Growing Shivling in Matangeshwar Temple

Growing Shivling in Matangeshwar Temple : मध्य प्रदेश को महाकाल की नगरी कहा जाता है। यहां कई रहस्यमयी और प्राचीन मंदिर हैं। खजुराहो का मतंगेश्वर मंदिर भी इन्हीं में से एक है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां स्थित शिवलिंग जिंदा माना जाता है, क्योंकि हर साल इसकी ऊंचाई थोड़ी बढ़ जाती है

वैज्ञानिक भी आज तक यह नहीं समझ पाए कि यह कैसे होता है। कहते हैं कि कार्तिक मास की शरद पूर्णिमा पर शिवलिंग की ऊंचाई तिल (गुड़ के लड्डू में डलने वाले छोटे दाने) जितनी बढ़ जाती है।

क्या सच में प्रलय आएगा

इस शिवलिंग को लेकर एक रोचक मान्यता है। कहा जाता है कि यह जितना ऊपर बढ़ता है, उतना ही नीचे भी बढ़ता है। जब यह पाताल तक पहुंच जाएगा, तब दुनिया खत्म हो जाएगी यानी प्रलय आ जाएगा।

अभी इसकी लंबाई 9 फीट तक पहुंच चुकी है, लेकिन इसका असली आधार कितना गहरा है, यह कोई नहीं जानता। हर साल इसकी माप ली जाती है और हर बार यह पहले से लंबा पाया जाता है।

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

इस मंदिर से एक प्राचीन कथा भी जुड़ी है।

भगवान शिव के पास एक चमत्कारी पन्ना मणि थी, जिसे उन्होंने युधिष्ठिर को दे दिया था। बाद में यह मणि मतंग ऋषि को मिली और फिर राजा हर्षवर्मन को सौंप दी गई।

यह मणि 18 फीट लंबे शिवलिंग के अंदर भूमि में दबा दी गई, ताकि यह सुरक्षित रहे। कहते हैं कि इसी मणि की शक्ति से शिवलिंग हर साल बढ़ता है और इसे जीवित शिवलिंग कहा जाता है।

वैज्ञानिक भी रह गए हैरान

इतना पुराना और विशाल शिवलिंग होने के बावजूद, इसकी लंबाई हर साल बढ़ना आज भी एक रहस्य बना हुआ है।

कई वैज्ञानिकों ने इस पर शोध किए, लेकिन अब तक कोई पुख्ता कारण नहीं मिला कि यह कैसे और क्यों बढ़ता है।

यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि यह भगवान शिव की असीम शक्ति है, जो किसी वैज्ञानिक तर्क से परे है।

यहां क्यों करें दर्शन

अगर आप भगवान शिव में आस्था रखते हैं, तो आपको एक बार मतंगेश्वर मंदिर जरूर जाना चाहिए।

यहां आज भी नियमित पूजा अर्चना होती है।

मंदिर में जाने से मन को शांति मिलती है।

भक्तों को शिव कृपा का आशीर्वाद मिलता है।

कार्तिक मास की शरद पूर्णिमा पर क्या होता है

इस दिन शिवलिंग की लंबाई तिल के बराबर बढ़ जाती है।

हर साल इस दिन पर्यटन विभाग इसकी माप करता है और हर बार इसकी ऊंचाई बढ़ी हुई पाई जाती है।

भक्तों का मानना है कि इस दिन यहां पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

मंदिर खुलने और बंद होने का समय

सुबह, 6 बजे से रात, 10 बजे

खजुराहो कैसे पहुंचे

हवाई मार्ग,सबसे नजदीकी हवाई अड्डा खजुराहो एयरपोर्ट है, जो शहर से 5 किमी दूर है।

रेल मार्ग,खजुराहो रेलवे स्टेशन नजदीक पड़ता है। वहां से ऑटो या टैक्सी मिल जाएगी।

सड़क मार्ग,झांसी और पन्ना से बसें आसानी से मिल जाती हैं। खुद की गाड़ी से जाना भी अच्छा विकल्प है।

आस पास के घूमने लायक स्थान

लक्ष्मण मंदिर,अपनी बेहतरीन नक्काशी और मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध।

चौंसठ योगिनी मंदिर, देवी काली को समर्पित, ऊंची पहाड़ी पर स्थित है।

कंदरिया कला और सांस्कृतिक केंद्र,10वीं शताब्दी की पेंटिंग्स और मूर्तियों का संग्रहालय।

स्टे के लिए अच्छे होटल

Hotel Chandela

The Lalit Temple View

Radisson Jass Hotel

Clarks Hotel

Hotel Marble Palace

मतंगेश्वर मंदिर का रहस्यमयी शिवलिंग दुनियाभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसकी लंबाई हर साल बढ़ती है, जिसे आज तक विज्ञान भी नहीं समझ पाया। कहते हैं कि जब यह पाताल तक पहुंच जाएगा, तो प्रलय आ जाएगा। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है और वैज्ञानिकों के लिए भी एक पहेली बना हुआ है।

Disclaimer : इस लेख की जानकारी अलग-अलग स्रोतों से ली गई है, जिसकी सटीकता की गारंटी नहीं है। यह सिर्फ जानकारी देने के लिए है। पाठक इसे सामान्य जानकारी समझें।

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