Pahalgam history: हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस खूबसूरत घाटी में आतंकियों ने बैसरन घाटी में घात लगाकर हमला किया, जिसमें 28 मासूम लोगों की जान चली गई। इस हमले से देशभर में गुस्सा है। लेकिन इसी घटना के बीच पहलगाम का पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व भी चर्चा में आ गया है।
पहलगाम को क्यों कहते हैं ‘चरवाहों का गांव’?
पहलगाम दो शब्दों से मिलकर बना है।’पुहेल’, जिसका मतलब होता है चरवाहा और ‘गाम’, यानी गांव। यानी इसका शाब्दिक अर्थ हुआ ‘चरवाहों का गांव’। इस क्षेत्र में हरे-भरे मैदान हैं जहां बकरवाल समुदाय के लोग अपने मवेशियों को चरा कर जीविका चलाते हैं। वसंत से सर्दियों तक यह इलाका चरवाहों से भरा रहता है।
पहलगाम का पुराना नाम क्या था,हिंदू धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार, पहलगाम का पुराना नाम “बैल गांव” था। कहा जाता है कि जब भगवान शिव माता पार्वती को अमरकथा सुनाने के लिए अमरनाथ गुफा की ओर गए, तो उन्होंने सबसे पहले अपने वाहन नंदी बैल को यहीं पर छोड़ा था। इसी कारण इस स्थान को पहले ‘बैल गांव’ कहा जाता था, जो बाद में पहलगाम बन गया।
अमरनाथ यात्रा का पहला पड़ाव
पहलगाम, अमरनाथ यात्रा का शुरुआती पड़ाव होता है। इस यात्रा को धार्मिक रूप से बेहद पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि जब माता पार्वती ने भगवान शिव से अमरता का रहस्य जानना चाहा, तब शिवजी ने ऐसा स्थान चुना जहां कोई तीसरा न सुन सके। अमरनाथ गुफा पहुंचने से पहले, भगवान शिव ने अपने सारे worldly संबंध त्याग दिए। सबसे पहले, उन्होंने अपने बैल को पहलगाम में छोड़ा, फिर महागुनस पर्वत पर अपने पुत्र गणेश, चंद्रमा, और नाग को छोड़ा। इसके बाद पांचों तत्वों (जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश) का भी परित्याग किया।
प्राकृतिक सुंदरता का खजाना
पहलगाम की घाटी को ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ भी कहा जाता है। यहां की हरियाली, शांत वातावरण और ऊंचे-ऊंचे पहाड़ पर्यटकों का दिल जीत लेते हैं। गर्मियों में पहलगाम घूमने आने वालों की संख्या हज़ारों में होती है।
धार्मिक आस्था और प्राकृतिक खूबसूरती का संगम
पहलगाम सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि यह आस्था, इतिहास और प्रकृति का संगम है। जहां एक ओर ये जगह श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक महत्व रखती है, वहीं दूसरी ओर इसकी खूबसूरती हर प्रकृति प्रेमी को अपनी ओर खींचती है।