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रमजान का पहला दिन, पीएम मोदी ने दी बधाई, कहा- ये महीना गरीबों की सेवा के लिए लोगों को प्रेरित करे

रमजान का पहला दिन, पीएम मोदी ने दी बधाई, कहा- ये महीना गरीबों की सेवा के लिए लोगों को प्रेरित करे

नई दिल्ली। रमजान का पवित्र महीना शुरू हो गया है. रविवार को यानी आज पहला रोजा है. एक दिन पहले शनिवार को चांद दिखाई दिया था. रमजान का चांद दिखने के बाद से ही लोग एक दूसरे को मुबारकबाद दे रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने भी लोगों को रमजान के पवित्र महीने की बधाई दी है. पीएम मोदी ने कामना करते हुए कहा है कि समाज में लोगों को शांति, सद्भाव और करुणा की भावना को विकसीत करने की शक्ति मिले. 2 अप्रैल को चांद दिखाई देने के बाद तीन अप्रैल को मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपना उपवास शुरू कर दिया है. प्रधानमंत्री मोदी ने शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि इस पवित्र महीने में लोगों को गरीबों की सेवा करने के लिए प्रेरित करने की ताकत मिले।

पीएम मोदी ने दी रमजान की बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ”रमजान के पवित्र महीने की शुरुआत पर बहुत बहुत बधाई. रमजान का यह महीना लोगों को गरीबों की सेवा करने के लिए प्रेरित करे. साथ ही यह पवित्र महीना हमारे समाज में शांति, सद्भाव और करुणा की भावना को और भी विकसीत करे।

2 अप्रैल को दिखा था चांद

रमजान विश्व स्तर पर मुसलमानों द्वारा उपवास, प्रार्थना और प्रतिबिंब के महीने के रूप में मनाया जाता है. देश में दो अप्रैल को चांद दिखाई देने के बाद अब तीन अप्रैल दिन रविवार से मुस्लिम समुदाय के लोग अपना रोजा रख रहे हैं. रमजान को लेकर ऐसा माना जाता है कि रमजान के पवित्र माह में अल्लाह से पैगंबर मोहम्मद को कुरान की पहली आयतें मिली थीं. इन पवित्र दिनों में रोजा रखा जाता है. पूरा दिन भूखे-प्यासे रहकर खुदा की इबादत की जाती है और जरूरतमंद लोगों की सेवा की जाती है. 3 अप्रैल से शुरु होने वाले रमजान 1 मई ईद के साथ समाप्त होंगे. लेकिन इसकी तारीख का निर्धारण चांद दिखने के बाद ही होता है।

दिनभर भूखे प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत

इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक रमजान के महीने में सूर्य उगने से पहले खाना खाया जाता है. इसे सहरी के नाम से जानते हैं. सहरी का समय पहले से ही निर्धारित होता है. इसके बाद दिनभर भूखे प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत की जाती है. फिर शाम के समय नमाज पढ़ने के बाद रोजा खोलते हैं. इसे इफ्तार के नाम से जानते हैंय़

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