Sawan Amavasya : श्रावण मास को भगवान शिव की भक्ति के लिए सबसे पावन महीनों में गिना जाता है। इस महीने की अमावस्या को हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है क्योंकि यह प्रकृति से जुड़ाव और हरियाली बढ़ाने का प्रतीक मानी जाती है।
इस बार श्रावण अमावस्या 24 जुलाई 2025 को तड़के 2:28 बजे से शुरू होकर 25 जुलाई को दोपहर 12:40 बजे तक रहेगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या पर उदया तिथि को अधिक महत्व दिया जाता है, इसलिए पूजा-पाठ, स्नान-दान आदि 24 जुलाई को ही करना श्रेष्ठ माना जाएगा। यह दिन पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने, मंत्र सिद्धि, दोष निवारण, और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन किए गए सत्कर्मों से कई गुना फल प्राप्त होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
श्रावण अमावस्या पर क्या न करें
शुभ कार्यों से परहेज करें: इस दिन विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश या कोई नया काम शुरू करने से बचें।
सुनसान और अंधेरे स्थान पर न जाएं: वीरान इलाकों या उजाड़ जगहों पर जाना अशुभ माना गया है।
दूसरों का पुराना सामान न लें: जैसे कपड़े, जूते या अन्य इस्तेमाल की हुई वस्तुएं न अपनाएं।
वाद-विवाद और क्रोध से बचें: किसी से झगड़ा या बहस करने से मन की शांति और पुण्य का क्षय होता है।
केश और नाखून न काटें: यह शरीर के अंग माने जाते हैं, जिन्हें इस दिन काटना वर्जित है।
श्रावण अमावस्या पर क्या करें
स्नान और दान करें: किसी पवित्र नदी या तीर्थ में स्नान करके गरीबों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें।
पौधे लगाएं:खासकर तुलसी, पीपल या नीम जैसे पवित्र वृक्ष लगाकर पर्यावरण और पितरों दोनों को संतुष्ट करें।
पितृ दोष निवारण करें:कुंडली में पितृ दोष होने पर तर्पण, श्राद्ध और ब्राह्मण भोज जैसे कार्य करें।
गाय की सेवा करें: गाय को हरा चारा, गुड़ या रोटी खिलाएं, इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
घर की सफाई करें और दीप जलाएं: घर के पुराने, टूटे-फूटे सामान निकालकर दीप जलाएं, विशेषकर मुख्य दरवाजे पर।
रुद्राभिषेक कराएं: कालसर्प दोष या अन्य ग्रह दोषों से मुक्ति के लिए शिवलिंग पर दूध, जल और बेलपत्र से अभिषेक करें।
श्रावण अमावस्या आत्मशुद्धि, पूर्वजों के सम्मान और शिव उपासना का उत्तम अवसर है। इस दिन उचित नियमों का पालन करके सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। जीवन की समस्याओं से छुटकारा पाने और मानसिक शांति पाने के लिए यह दिन बेहद लाभकारी माना गया है। अमावस्या पर सत्कर्मों का प्रभाव दीर्घकालिक होता है, इसलिए इस शुभ दिन को व्यर्थ न जाने दें।
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