Mahashivratri : शिव पार्वती के विवाह में किस ऋषि ने संभाला था पृथ्वी का बैलेंस, वरना दुनिया हो जाती उलट पुलट

महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ। शिव की अनोखी बारात से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ गया था, जिसे महर्षि अगस्त्य ने ठीक किया था। माता मैनावती शिव के रूप से डर गईं थी लेकिन विष्णु ने उनका श्रृंगार कर विवाह संपन्न कराया।

Shiv Parvati wedding story

Shiv Parvati wedding story महाशिवरात्रि का दिन भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस शुभ अवसर पर शिव ने अनोखी बारात निकाली, जिसमें देवता, भूत-प्रेत, दानव, यक्ष, गंधर्व और अनेक प्राणी शामिल थे। लेकिन इस विवाह के दौरान एक ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई कि भगवान शिव को एक ऋषि की मदद लेनी पड़ी। आइए जानते हैं, वह ऋषि कौन थे और उन्होंने कैसे शिव विवाह में योगदान दिया।

सती के बाद शिव का एकांतवास

देवी सती के आत्मदाह के बाद भगवान शिव ने संसार से दूरी बना ली और एकांत में रहने लगे। इस कारण देवी पार्वती ने कठोर तपस्या कर शिव को प्रसन्न किया और उनसे विवाह का वरदान प्राप्त किया। भगवान शिव को हर कोई पूजता है, इसलिए उनके विवाह में देवता, दानव, पशु-पक्षी और मनुष्य सभी शामिल होना चाहते थे। शिव की बारात अपने आप में अनोखी थी, जिसमें हर प्रकार के प्राणी सम्मिलित थे।

कैसी थी शिव की बारात

माता पार्वती के पिता राजा हिमालय के महल तक पहुंचने के लिए भगवान शिव ने अपनी भव्य बारात निकाली। यह कोई साधारण बारात नहीं थी, बल्कि इसमें भूत, प्रेत, दानव, यक्ष, गंधर्व, नाग, किन्नर और ब्रह्मराक्षस शामिल थे। शिव के प्रमुख गण, जैसे वीरभद्र, शंखकर्ण और विशाखा भी इस शोभायात्रा का हिस्सा थे। इस दौरान भगवान विष्णु, ब्रह्मा और अन्य देवी-देवता बारात की शोभा बढ़ा रहे थे। इंद्रदेव अपनी देव सेना के साथ उपस्थित थे, तो कुबेर यक्षों और गंधर्वों के साथ चल रहे थे।

ऋषि-मुनि सप्तर्षियों के साथ स्वस्तिवाचन कर रहे थे, जबकि कुछ प्राणी शिव गणों को राख में लिपटे देख रहे थे। यह बारात नाचते-गाते हुए पार्वती के घर की ओर बढ़ रही थी।

पृथ्वी का संतुलन बिगड़ा, ऋषि अगस्त्य ने किया समाधान

जैसे-जैसे शिव की बारात आगे बढ़ रही थी, पृथ्वी का संतुलन बिगड़ने लगा। शिव के भक्तों और गणों की भारी संख्या के कारण धरती एक ओर झुकने लगी। यह देखकर भगवान शिव ने महर्षि अगस्त्य से पृथ्वी के दूसरे छोर पर जाने का अनुरोध किया। जैसे ही ऋषि अगस्त्य वहां पहुंचे, पृथ्वी का संतुलन पुनः स्थापित हो गया और शिव की बारात सही ढंग से आगे बढ़ पाई।

जब बारात पार्वती के घर पहुंची, तो नगरवासी और माता पार्वती की मां मैनावती भगवान शिव के भयंकर रूप को देखकर डर गईं। भगवान शिव के भूत-प्रेतों से घिरे होने के कारण मैनावती बेहोश हो गईं और नारद मुनि को इस विवाह का प्रस्ताव देने के लिए दोष देने लगीं।

शिव का अद्भुत श्रृंगार

माता मैनावती को दुखी देखकर भगवान विष्णु ने भगवान शिव के लिए विशेष श्रृंगार किया। जब शिव विवाह मंडप में पहुंचे, तो उनका रूप इतना अद्भुत था कि करोड़ों कामदेव भी उनके सौंदर्य के सामने फीके पड़ गए। इस रूप को देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया और माता मैनावती को भी संतोष हुआ।

इस प्रकार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का पवित्र विवाह संपन्न हुआ, जिसे आज भी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है. news1india इन मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है. यहां पर दी गई किसी भी प्रकार की जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य ले लें।

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