Aghori and their spiritual practices अघोरी एक विशेष तंत्र मंत्र की साधना करने वाले साधु होते हैं, जो सनातन धर्म में एक अलग स्थान रखते हैं। यह साधु अपने अभ्यास के दौरान सामान्य सामाजिक नियमों और परंपराओं से हटकर साधना करते हैं। अघोर पंथ का मुख्य उद्देश्य शारीरिक और मानसिक शुद्धता प्राप्त करना है, और इसके लिए ये लोग बहुत अधिक कठोर साधना, तप, और तंत्र मंत्र का उपयोग करते हैं।
अघोर पंथ का इतिहास
Aghor पंथ का इतिहास बहुत प्राचीन है और यह तंत्र साधना से जुड़ा हुआ है। यह पंथ शिव के अघोर रूप से संबंधित है, जो महादेव के एक रूप माने जाते हैं। अघोरियों का विश्वास है कि भगवान शिव के अघोर रूप में अनंत शक्ति होती है और इसके माध्यम से वे संसार की भौतिक बुराइयों से मुक्त हो सकते हैं। अघोर साधना में शरीर की कड़ी तपस्या और तंत्र विद्या का बड़ा स्थान है।
अघोर साधना का उद्देश्य
Aghorसाधना का मुख्य उद्देश्य आत्मा का मुक्ति प्राप्त करना है। अघोरियों के अनुसार, भूत प्रेत, श्मशान घाट, और शवों के माध्यम से साधना करना उनके लिए सामान्य बात है क्योंकि इन स्थानों को अशुद्ध माना जाता है और यहां से मुक्ति प्राप्त करना कठिन होता है। अघोरी अपने मन और शरीर को पूरी तरह से शुद्ध करने के लिए इन कड़ी साधनाओं को अपनाते हैं।
Aghori बनने की प्रक्रिया
अघोरी बनने के लिए किसी व्यक्ति को वर्षों की कठिन साधना और तपस्या करनी होती है। यह साधना सामान्यत श्मशान में होती है, जहां पर व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूत और शुद्ध बनना होता है। अघोरी बनने के बाद, ये लोग समाज के सामान्य नियमों से परे जाकर अपने जीवन का उद्देश्य पूरा करने के लिए तंत्र मंत्र और अन्य कठिन साधनाओं का पालन करना होता हैं।
अघोर पंथ को लेकर भ्रांति
अघोर पंथ को लेकर समाज में कई गलत धारणाएं फैली हुई हैं, लेकिन अघोरी का असल उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति है। यह पंथ समाज में रहकर भी समाज से हटकर साधना करने वाले साधुओं का समूह है, जो अपनी साधना के माध्यम से दिव्य शक्ति प्राप्त करना चाहते हैं।