RJD Kushwaha Social Engineering: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने एक बड़ा ‘सोशल इंजीनियरिंग’ दांव चला है, जो सीधे तौर पर जनता दल यूनाइटेड (JDU) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के पारंपरिक वोट बैंक पर असर डाल सकता है। लोकसभा चुनाव 2024 में सफल रहे अपने प्रयोग को दोहराते हुए, RJD अब कुशवाहा समाज को अपने पक्ष में लामबंद करने की रणनीति पर काम कर रही है। सूत्रों के अनुसार, इस रणनीति के तहत पूर्णिया के पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता अजय कुशवाहा जल्द ही RJD का दामन थामेंगे। संतोष कुशवाहा को धमदाहा सीट से मौजूदा मंत्री लेसी सिंह के खिलाफ उतारा जा सकता है, जबकि अजय कुशवाहा को वैशाली से टिकट मिलने की संभावना है। यह कदम नीतीश कुमार के मूल ‘कुशवाहा फैक्टर’ को सीधी चुनौती देता है, जिसका सीधा असर 2025 के चुनावी समीकरणों पर पड़ सकता है।
दो बड़े चेहरे, एक ही संदेश: कुशवाहा समाज को साधने की मुहिम
RJD का यह कदम केवल दलबदल नहीं, बल्कि एक ठोस राजनीतिक और सामाजिक रणनीति का हिस्सा है। बिहार की राजनीति में कुशवाहा समाज की आबादी 4 प्रतिशत से अधिक है, और यह वोट बैंक ऐतिहासिक रूप से नीतीश कुमार की JDU का मजबूत आधार रहा है। RJD, जो पारंपरिक रूप से यादव-मुस्लिम (M-Y) समीकरण पर निर्भर रही है, अब इस जातीय आधार को विस्तारित करने की दिशा में काम कर रही है।
- संतोष कुशवाहा को धमदाहा से उतारना कोसी-सीमांचल क्षेत्र में एक बड़ा संकेत माना जा रहा है।
- अजय कुशवाहा को वैशाली से टिकट देने की तैयारी, उत्तर बिहार में भी पार्टी की पहुँच को बढ़ाने का प्रयास है।
2024 की सफलता को 2025 में दोहराने की रणनीति
RJD ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इस वर्ग को साधने की कोशिश की थी, और कई सीटों पर कुशवाहा उम्मीदवारों को मौका दिया गया था। पार्टी मानती है कि इस समुदाय में राजद और कांग्रेस के प्रति झुकाव बढ़ा है, जिसे अब राजनीतिक रूप से भुनाया जा सकता है।
RJD की संभावित 44 उम्मीदवारों की सूची: जातीय और क्षेत्रीय संतुलन पर ज़ोर
इसी बीच, RJD ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 44 सीटों पर संभावित प्रत्याशियों की सूची भी लगभग तय कर ली है। यह सूची RJD की व्यापक चुनावी रणनीति को दर्शाती है, जिसमें जातीय और क्षेत्रीय संतुलन पर ज़ोर दिया गया है।
सीट | संभावित प्रत्याशी | सीट | संभावित प्रत्याशी |
मुंगेर | अविनाश कुमार विद्यार्थी | उजियारपुर | आलोक कुमार मेहता |
महिषी | गौतम कृष्णा | मोरवा | रणविजय साहू |
झाझा | राजेंद्र प्रसाद | समस्तीपुर | अख्तरुल इस्लाम शाहीन |
महुआ | मुकेश रौशन | धोरैया | भूदेव चौधरी |
शेखपुरा | विजय कुमार | संदेश | किरण देवी |
शाहपुर | राहुल तिवारी | ब्रह्मपुर | शंभूनाथ यादव |
दिनारा | विजय कुमार मंडल | नोखा | अनीता देवी |
डेहरी | फतेह बहादुर कुशवाहा | मखदूमपुर | सतीश कुमार |
ओबरा | ऋषि कुमार | रफीगंज | मोहम्मद निहालुद्दीन |
सिमरी बख्तियारपुर | यूसुफ सलाउद्दीन | मधेपुरा | चंद्रशेखर यादव |
जोकीहाट | शाहनवाज आलम | लौकहा | भरत भूषण मंडल |
बहादुरगंज | मुजाहिद आलम | बाजपट्टी | मुकेश कुमार यादव |
नरकटिया | डॉक्टर शमीम अहमद | मनेर | भाई वीरेंद्र |
हिलसा | शक्ति यादव | फतुहा | रामानंद यादव |
एकमा | श्रीकांत यादव | सिवान | अवध बिहारी चौधरी |
रघुनाथपुर | ओसामा सहाब | कांटी | इसराइल मंसूरी |
दरभंगा ग्रामीण | ललित यादव | बोधगया | कुमार सर्वजीत |
इमामगंज | उदय नारायण चौधरी | जमुई | विजय प्रकाश |
गोह | भीम सिंह | हायाघाट | भोला यादव |
मोहिउद्दीन नगर | एज्या यादव | चकाई | सावित्री देवी |
सुरसंड | सैयद अबू दोजाना | राघोपुर | फुलपरास (तेजस्वी यादव) |
पातेपुर | शिवचन्द्र राम | मढ़ौरा | जितेन्द्र कुमार राय |
(नोट: राघोपुर और फुलपरास में तेजस्वी यादव के लिए सीट का उल्लेख संभवतः एक त्रुटि है, क्योंकि तेजस्वी यादव आमतौर पर राघोपुर से चुनाव लड़ते हैं। यह संभावित सूची का हिस्सा है।)
RJD के ‘कुशवाहा दांव’ का निहितार्थ
RJD के इस कदम के कई महत्वपूर्ण राजनीतिक निहितार्थ हैं:
- JDU को सीधी चुनौती: कुशवाहा समाज पर दांव खेलकर RJD सीधे तौर पर JDU और नीतीश कुमार के आधार को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।
- NDA के गणित को झटका: अगर RJD कुशवाहा मतदाताओं को अपने पाले में लाने में सफल होती है, तो यह पारंपरिक NDA के जातीय समीकरणों के गणित को बड़ा झटका दे सकता है, जिससे कई सीटों पर चुनावी मुकाबला बेहद कड़ा हो जाएगा।
- जातीय समीकरण में बदलाव: यह कदम बिहार की सियासत में ‘M-Y’ से आगे बढ़कर एक व्यापक सामाजिक आधार बनाने की तेजस्वी यादव की रणनीति का हिस्सा है।
कुल मिलाकर, बिहार की सियासत में ‘कुशवाहा फैक्टर’ एक बार फिर केंद्र में आ गया है, और RJD ने सबसे पहले चाल चलकर यह साफ कर दिया है कि 2025 का विधानसभा चुनाव सिर्फ गठबंधन की जंग नहीं, बल्कि जातीय और सामाजिक समीकरणों की नई परिभाषा तय करेगा।