प्रेमानंद महाराज के स्वास्थ्य को लेकर फैली अफवाहों पर विराम, राधा केली कुंज में पहुंचे गुरु शरणानंद महाराज

सोशल मीडिया पर प्रेमानंद महाराज की तबीयत को लेकर चल रही खबरों के बीच गुरु शरणानंद महाराज उनसे मिलने पहुंचे। मुलाकात के दौरान प्रेमानंद महाराज ने उनके चरण धोकर आरती उतारी और उनका सम्मान किया।

Premanand Ji Maharaj

Premanand Ji Maharaj : सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से प्रेमानंद महाराज के अस्वस्थ होने और उनके अस्पताल में भर्ती होने की अफवाहें तेज़ी से फैल रही थीं। इन चर्चाओं पर विराम तब लगा जब गुरु शरणानंद महाराज स्वयं राधा केलि कुंज आश्रम पहुंचकर प्रेमानंद महाराज से मिलने और उनका हालचाल जानने पहुंचे।

दोनों महान संतों की मुलाकात का दृश्य जब सोशल मीडिया पर सामने आया तो भक्तों के चेहरे खिल उठे। वीडियो देखकर सभी को राहत मिली कि प्रेमानंद महाराज स्वस्थ हैं और पूरी तरह ठीक हैं। इस दौरान प्रेमानंद महाराज ने अत्यंत श्रद्धा भाव से गुरु शरणानंद के चरण धोकर उनकी आरती उतारी और उनका सत्कार किया।

पैदल यात्रा रुकने से शुरू हुई चर्चा

दरअसल, हाल के दिनों में प्रेमानंद महाराज ने अपनी नियमित पैदल यात्रा अस्थायी रूप से बंद कर दी थी। आमतौर पर रात में वे सड़क किनारे खड़े होकर भक्तों को दर्शन देते थे, लेकिन जब यह क्रम कुछ दिनों तक नहीं चला तो भक्तों के बीच यह चर्चा फैल गई कि कहीं उनकी तबीयत बिगड़ तो नहीं गई। यही अफवाहें धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर भी वायरल होने लगीं। हालांकि, जब उदासीन अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर और कार्ष्णि पीठाधीश्वर गुरु शरणानंद महाराज स्वयं उनसे मिलने पहुंचे, तब सब कुछ स्पष्ट हो गया।

उनके आगमन पर राधा केलि कुंज आश्रम में एक भावुक और पवित्र दृश्य देखने को मिला। दोनों संतों के मिलने का क्षण अत्यंत भावुक था। जैसे ही गुरु शरणानंद और प्रेमानंद महाराज आमने-सामने आए, दोनों की आंखें नम हो गईं और वातावरण में भक्ति की गहरी अनुभूति फैल गई। यह दृश्य मानो सनातन परंपरा की उस आत्मीयता का प्रतीक बन गया, जिसमें पंथ भले अलग हों, लेकिन साधना का लक्ष्य एक ही होता है — भगवान का प्रेम।

प्रेमानंद महाराज ने किया गुरु शरणानंद का सादर स्वागत

गुरु शरणानंद के आगमन की सूचना मिलते ही प्रेमानंद महाराज स्वयं आश्रम के द्वार पर उनके स्वागत के लिए पहुंचे। उन्होंने साष्टांग दंडवत प्रणाम किया, तो गुरु शरणानंद ने उन्हें स्नेहपूर्वक उठाकर गले लगा लिया। इसके बाद प्रेमानंद महाराज ने उन्हें अपने आसन पर बैठने का आग्रह किया और स्वयं विनम्रता से नीचे बैठ गए।

प्रेमानंद महाराज ने अत्यंत आग्रहपूर्वक गुरु शरणानंद के चरण धोने की अनुमति मांगी। यह देखकर सभी उपस्थित जन भावविभोर हो उठे। सामान्यतः गुरु शरणानंद वर्ष में केवल गुरु पूर्णिमा के दिन ही चरण पूजन स्वीकार करते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने प्रेमानंद महाराज के प्रेम और श्रद्धा को देखकर अपना संकल्प तोड़ दिया।

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जैसे ही प्रेमानंद महाराज ने कहा, “लाओ रे, चरण धुलवाओ!” पूरा आश्रम सेवा में जुट गया। शिष्यों ने थाल और लोटे में जल लाया, और फिर प्रेमानंद महाराज ने बड़े प्रेम से उनके चरण धोए, चंदन लगाया, पुष्प अर्पित किए और आरती उतारी। यह दृश्य न केवल दो महान संतों की भक्ति और एकता का प्रतीक था, बल्कि इसने यह भी साबित कर दिया कि प्रेमानंद महाराज स्वस्थ हैं और पहले की तरह पूर्ण रूप से सक्रिय हैं। भक्तों के लिए यह क्षण किसी आशीर्वाद से कम नहीं था।

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