Sahara City controversy: स्वप्ना रॉय और रिश्तेदारों के भागने से बढ़ा हंगामा, कर्मचारी बोले—“हमारी मेहनत लूटी जा रही है”

सहारा सिटी का विवाद अब सिर्फ वेतन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह कर्मचारियों के सम्मान और भविष्य की सुरक्षा से जुड़ा मसला बन चुका है। कर्मचारियों की मांग है कि सरकार हस्तक्षेप कर सहारा की संपत्तियों और वित्तीय लेनदेन की निष्पक्ष जांच कराए।

Sahara City

Sahara City controversy: सहारा इंडिया परिवार के भीतर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा। लखनऊ स्थित सहारा सिटी में शनिवार को तब हड़कंप मच गया जब कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि समूह संस्थापक सुब्रत रॉय की पत्नी स्वप्ना रॉय और उनके रिश्तेदार रातों-रात शहर छोड़कर भाग गए। दावा किया गया कि उनके साथ ट्रकों में भरा सामान भी बाहर ले जाया गया। इससे पहले से ही वेतन और पीएफ भुगतान को लेकर आंदोलन कर रहे कर्मचारियों का गुस्सा भड़क उठा। सहारा प्रबंधन के चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और कर्मचारियों के बीच एक घंटे की वार्ता हुई, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। इस बीच, सहारा परिसर के बाहर भारी पुलिस बल तैनात रहा।

कर्मचारियों का आरोप: “मनमानी पर उतर आए अधिकारी”

Sahara City के बाहर तीन दिनों से धरने पर बैठे कर्मचारियों ने कहा कि 2014 के बाद से उन्हें नियमित वेतन नहीं मिला है। कभी दो महीने पर, तो कभी तीन महीने पर “टोकन मनी” के तौर पर अंशिक भुगतान किया गया। कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि प्रबंधन के कुछ अधिकारी सहारा सिटी में रखे करोड़ों रुपये के स्क्रैप को चोरी-छिपे बेच रहे हैं। उनका कहना है कि करीब पांच करोड़ रुपये मूल्य का स्क्रैप बेचा जा चुका है। प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि सरकार जांच कमिटी गठित करे और वेतन, पीएफ तथा ग्रेच्युटी का तत्काल भुगतान सुनिश्चित करे।

प्रबंधन और कर्मचारियों की बातचीत रही बेनतीजा

शनिवार दोपहर करीब दो बजे सहारा प्रबंधन की ओर से अनिल विक्रम सिंह, विजय डोगरा, अली अहमद जैदी और आरएस दुई कर्मचारियों से वार्ता के लिए पहुंचे। वार्ता Sahara City के रिसेप्शन काउंटर के अंदर बंद दरवाजे में हुई, जिसमें जिला प्रशासन की ओर से एसपी सिटी भी मौजूद रहे। करीब एक घंटे चली इस बैठक में कर्मचारियों ने अपने बकाए वेतन और लाभों की अदायगी की मांग दोहराई, लेकिन किसी ठोस फैसले पर सहमति नहीं बन सकी।

कर्मचारियों की सरकार से अपील

प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने राज्य सरकार से मांग की है कि सहारा अधिकारियों की संपत्तियों की जांच कराई जाए। उनका आरोप है कि वर्ष 2012 से संस्था ने पीएफ का पैसा जमा नहीं किया, जिससे हजारों कर्मचारियों की बचत खतरे में पड़ गई है। सहारा के सेवानिवृत्त कर्मचारी सुधीर कुमार त्रिपाठी ने बताया कि वे दिसंबर 2024 में रिटायर हुए, लेकिन आज तक ग्रेच्युटी नहीं मिली। कर्मचारियों ने कहा—“हमने सहारा के नाम पर जिंदगी खपाई, अब हमारे हक का पैसा भी गायब हो गया।”

Zoho ने उड़ाए Whatsapp, Telegram के छक्के, Arattai में मिल रहा ऐसा फीचर जो कभी नहीं देखा होगा

Exit mobile version