पैरा पावर लिफ्टर सुधीर ने भारत के लिए बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में छठा स्वर्ण पदक जीता है। वह बचपन में पोलियो से जूझ चुके हैं। उन्होंने पैरा पावरलिफ्टिंग (दिव्यांग एथलीट्स की वेटलिफ्टिंग) में 212 किलोग्राम वजन उठाने के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया। साथ ही सुधीर ने गेम्स रिकॉर्ड भी बनाया। सुधीर लगातार सात बार के नेशनल गोल्ड मेडलिस्ट रह चुके हैं। देशवासियों को उनसे राष्ट्रमंडल में भी सोना जीतने की ही उम्मीद थी। सुधीर ने भारतीयों को निराश नहीं किया और स्वर्ण जीतकर उम्मीदों पर खरे उतरे। सुधीर दो बार के स्ट्रांगमैन ऑफ इंडिया का खिताब भी अपने नाम कर चुके हैं।
हरियाणा के सोनीपत के गांव लाठ में किसान परिवार में जन्मे सुधीर बचपन से ही प्रतिभावान रहे हैं। पांच वर्ष की आयु में पैर में परेशानी के चलते वह दिव्यांग हो गए। सुधीर पोलियो का शिकार हुए थे। इसके बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। 2013 में शरीर को फिट रखने के लिए उन्होंने पावर लिफ्टिंग शुरू की थी। इसमें लगातार अभ्यास करते रहने की वजह से उन्होंने इस खेल को जीवन का हिस्सा बना लिया।
पैरा खिलाड़ी वीरेंद्र धनखड़ से प्रेरित होकर सुधीर ने पैरा पावर लिफ्टिंग शुरू की थी। महज दो साल की मेहनत से ही वह नेशनल तक पहुंचे और राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण जीतकर प्रदेश का नाम रोशन किया। यहीं से सुधीर के मन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने की उम्मीद जगी। सुधीर लगातार सात साल से नेशनल्स में पावर लिफ्टिंग में स्वर्ण जीतते आ रहे हैं।
साल 2021 और 2022 में सुधीर ने स्ट्रांग मैन ऑफ इंडिया का खिताब जीता। इसके बाद उन्होंने बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल खेलों के लिए तैयारी की। और लोगों की उम्मीदों पर खरे उतरे। फाइनल में उनके आसपास भी कोई नहीं था। नाइजीरिया के 74.10 किलो वजन वाले इकेचुकु क्रिस्टियन ओबिचुकु ने 192 किलो वजन उठाया और 133.6 अंकों के साथ रजत पदक जीता, जबकि स्कॉटलैंड के मिकी यूल ने 130.9 अंकों के साथ कांस्य पदक अपने नाम किया।