बर्मिंघम में जारी कॉमनवेल्थ गेम्स 2022(Commonwealth Games 2022) में भारत की ओर से जींद के गांव निडानी की बेटी अंशु मलिक(Anshu malik) ने महिलाओं के 57 किलोग्राम की वेट कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता है। जैसे ही अंशु मलिक ने मेडल जीता तो उनके घर गांव निडानी में बधाई देने वालों का तांता लग गया। पिता धर्मवीर व मां मंजू को सभी ने मिठाई खिलाई। हालांकि अंशु मलिक फाइनल मैच में नाइजीरिया पहलवान से दो अंक से हार गई और स्वर्ण पदक से चूक गई।
पिता धर्मबीर ने बताया कि अंशु मलिक का शुक्रवार को 21 वर्ष की हुई और जन्मदिन के साथ अंतिम मुकाबला भी था। उन्होंने अपने जन्मदिन के मौके पर ही देश को रजत पदक दिलाया है। अंशु मलिक ने महिलाओं के 57 किलोग्राम की वेट कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता है। इससे पहले अंशु ने सेमीफाइनल में श्रीलंका की नेथमी पोरुथोटागे को 1 मिनट 4 सेकेंड में 10-0 से हराया था। वहीं क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया की इरेन सिमोनोडिस को 64 सेंकड में हरा कर वो सेमीफाइनल में पहुंची थी।
अंशु मलिक ओलंपिक में हार गई थी लेकिन उन्होंने इस हार अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और कड़ी मेहनत के बल पर कॉमनवेल्थ गेम में देश के लिए सिल्वर मेडल जीता। पिता धर्मवीर मलिक ने कहा कि कामनवेल्थ के लिए रवाना हुई तो वादा किया था कि इस बार पदक पक्का लेकर आएंगी। ऐसे में अंशु मलिक ने अपना वादा पूरा किया है।
गौरतलब है कि 57 किलोग्राम भार वर्ग की महिला पहलवान अंशु मलिक की मां मंजू मलिक शिक्षक रही हैं। 2016 में जब अंशु ने वल्र्ड कैडेट प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता तो परिवार ने तय कर लिया कि अब बेटी को कुश्ती के क्षेत्र में ही आगे बढ़ाना है। इसके बाद मंजू मलिक ने नौकरी छोड़ दी और पूरा ध्यान बेटी पर दिया। वहीं अंशु मलिक के पिता धर्मवीर मलिक भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान रहे हैं।
उन्होंने नौकरी न कर बेटी को ही पहलवानी के गुर भी सिखाए। पिता धर्मवीर मलिक ने कहा कि बेटी को पहलवान बनाना थाए तो घर का ही घी.दूध चाहिए था। ऐसे में खुद ही पशुपालन किया। आज भी वे दो भैंस रखते हैं और दोनों भैंसों का दूध व घी बच्चों के लिए ही होता है। अंशु की मां मंजू मलिक डाइट का ध्यान रखती है।