क्रिकेट के गलियारों में इस समय न्यूजीलैंड की टीम ने हाहाकार मचा रखा है, हर कोई सोशल मीडिया पर न्यूजीलैंड की तारीफ कर रहा है। इन सब के पीछे वजह है न्यूजीलैंड का वो कारनामा जो पिछले 30 साल से कोई भी टीम नहीं कर पाई थी। ये कारनामा था टेस्ट क्रिकेट में फॉलोऑन लेकर जीत हासिल करने का जो 2001 में भारतीय टीम के बाद कोई टीम नहीं कर पाई जिसे आखिरकार कीवी टीम ने कर दिखाया। इस रिपोर्ट में हम इस एतिहासिक मैच के बारे में तो बात करेंगे ही साथ ही उन रिकॉर्डस् की भी बात करेंगे जो इस मैच में बने। हम आपको ये भी समझाएंगे कि आखिर टेस्ट क्रिकेट में फॉलॉऑन का नियम कैसे काम करता है, इसके नियम क्या हैं, ये कितना फायदेमंद है, कितना रिस्की है और किस परिस्थितियों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
न्यूजीलैंड ने फॉलऑन लेकर इस मैच में इंग्लैंड को सिर्फ 1 रन से हराया जिसके बाद ये मैच इतिहास के पन्नों में शामिल हो गया क्योंकि –
1.ये टेस्ट क्रिकेट के इतिहास का सिर्फ दूसरा ही मैच था जो सिर्फ 1 रन से जीता गया। पहली बार 1993 में वेस्ट इंडीज में ऑस्ट्रेलिया को एडिलेड में 1 रन से टेस्ट में हराया था।
2. ये मैच टेस्ट क्रिकेट के इतिहास का चौथा ही मैच था जिसे फॉलोऑन लेने वाली टीम ने जीता हो।
पहली बार इंग्लैंड ने फॉलोऑन लेकर 1894 में सिडनी में ऑस्ट्रेलिया को 10 रनों से हराया था।
दूसरी बार भी इंग्लैंड ने ही फॉलोऑन का इस्तेमाल कर ऑस्ट्रेलिया को ही टेस्ट में मात दी थी,ये मैच 1981 में खेला गया था।
तीसरी बार भारत ने 2001 में कोलकाता में ऑस्ट्रेलिया की टीम को फॉलोऑन लेकर 171 रनों से हराया था।
पहली तीनों बार जब जब फॉलोऑन का इस्तेमाल हुआ तब-तब हार ऑस्ट्रेलिया को ही झेलनी पड़ी लेकिन चौथी बार इंग्लैंड को हार का स्वाद चखना पड़ा और 28 फरवरी 2023 को एडिलेड में न्यूजीलैंड ने फॉलोऑन लेकर इंग्लैंड को हराया।
क्या होता है फॉलोऑन?
फॉलोऑन टेस्ट क्रिकेट का एक नियम होता है जिसे दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने वाली टीम इस्तेमाल कर सकती है। इसे लेने के बाद दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने वाली टीम को अपनी पहली पारी के तुरंत बाद दूसरी पारी खेलनी होती है यानी वह टीम अपने टेस्ट मैच की दोनों पारी एकसाथ खेल लेती है।
फॉलोऑन का इस्तेमाल तब होता है जब दूसरी पारी में खेलने वाली टीम-A पहली पारी में टीम -B द्वारा बनाए गए स्कोर से कम से कम 200 रन पहले ऑल आउट हो जाए, तब इस टीम-A का कप्तान फॉलोऑन की मांग कर सकता है, हालांकि उसे स्वीकार करना या ना करना हमेशा सामने वाली टीम-B का फैसला होता है। अगर अपनी दूसरी पारी में भी टीम-A बाकी के रन नहीं बना पाती तो टीम-B बिना दूसरी पारी खेले ही जीत जाएगी। लेकिन अगर अपनी दूसरी पारी में टीम-A ने बढ़त हासिल कर ली तो टीम-A को भी दूसरी पारी खेलनी होगी और टारगेट चेस करना होगा, टीम-A बढ़त वाले टारगेट को चेस करती है तो वह जीत जाएगी और अगर टीम-B अपनी पढ़त से पहले टीम-A को ऑल आउट कर दे तो मैच उसका हो जाएगा।
उदाहरण के लिए हम इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच 24-28 फरवरी को एडिलेड में खेले के इसी मैच की बात करते हैं, टॉस न्यूजीलैंड ने जीता और गेंदबाजी का फैसला कर इंग्लैंड को बल्लेबाजी करने बुलाया-
पहली पारी में इंग्लैंड ने 435 रन बनाए थे जिसके बाद न्यूजीलैंड पहली पारी में सिर्फ 209 रन बना पाई। मतलब न्यूजीलैंड इंग्लैंड के स्कोर से 226 रन पीछे थी, तो कप्तान ने फॉलोऑन की मांग कर ली जिसे इंग्लैंड ने मान लिया।
अब फॉलोऑन के दोनो रिजल्ट समझने के लिए मान लेते हैं कि अगर दूसरी पारी में भी न्यूजीलैंड 200 रन बनाकर ऑल आउट हो जाती तो इंग्लैंड अपनी दूसरी पारी खेले बिना ही 1 पारी और 99 रनों से जीत जाती। लेकिन इस मैच में दूसरी स्थिति बनी, अपनी दूसरी पारी में न्यूजीलैंड ने 483 रन बनाए, जिसमें अगर पहली पारी के 209 रन जोड़ दें तो 692 रन हुए और इंग्लैंड ने पहली पारी में 435 रन बनाए थे जो इसमें से घट जाएंगे यानी 692-435 = 257, यानी जीत के लिए इंग्लैंड को 257 रनों की जरूरत थी इसलिए उसे दूसरी पारी खेलनी पड़ी लेकिन न्यूजीलैंड ने यहीं कमाल कर दिया क्योंकि दूसरी पारी में उन्होने इंग्लैंड को सिर्फ 256 रनों पर चलता कर दिया और सिर्फ 1 रन से इस टेस्ट मैच को जीतकर इतिहास दोहरा दिया।