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Gujarat Assembly Election: वनवासी बनाम आदिवासी पर छिड़ा सियासी

Gujarat Assembly Election: वनवासी बनाम आदिवासी पर छिड़ा सियासी घमासान, जानें आखिर क्या कहता है संविधान

Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव में आदिवासी और वनवासी पर सियासी घमासान शुरू हो गया है। दरअसल कांग्रेस विशेष समुदाय के लिए आदिवासी शब्द का इस्तेमाल करती है तो वहीं बीजेपी और आरएसएस वनवासी कहती है। चुनावी प्रचार के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में महुवा में बीजेपी पर वनवासी शब्द को लेकर जमकर निशाना साधा था। बीजेपी और कांग्रेस क्या कहती है इसे छोड़कर ये जानते है कि संविधान क्या कहता है।

क्या कहता है संविधान

जानकारी के लिए बता दें कि भारत का संविधान जनजातियों को परिभाषित करने के लिए अनुसूचित जनजाति या फिर “अनुसूचित जनजाति” शब्द का प्रयोग करता है। कुछ आदिवासी लोग खुद को ‘आदिवासी’ ही कहलवाना पसंद करते हैं। आदिवासी का मतलब होता है कि ‘आदि निवासी’। इस शब्द का इस्तेमाल सार्वजनिक बातचीत, दस्तावेजों, किताबों व मीडिया के द्वारा किया जाता है।

वहीं ‘वनवासी’ का मतलब होता है जंगलों के वासी। इस शब्द का प्रयोग संघ परिवार के द्वारा किया जाता है। जो ईसाई मिशनरियों के चंगुल से बचाने के लिए आदिवासी क्षेत्रों में काम करता है। हाशिये पर रहने वाले आदिवासी समुदाय के लिए ‘वनवासी’ शब्द का इस्तेमाल उनकी अलग पहचान बताता है।

1930 में ब्रिटिश लेकर आए थे आदिवासी शब्द

वनवासी शब्द साल 1952 में प्रयोगा में लाया गया था। जंगलों में रहने वाले लोगों के लिए वनवासी शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। पहली बार साल 1930 में ब्रिटिश आदिवासी शब्द लेकर आए थे। दरअसल अमेरिका में आदिवासियों को उनकी पहचान दिलाने के लिए आदिवासी शब्द का इस्तेमाल किया गया था। क्योंकि आदिवासी हाशिए पर थे और वनवासी शब्द ये बताता है कि वह जंगलों के निवासी हैं। 

आदिवासी बनाम वनवासी शब्द को लेकर अक्सर विवाद छिड़ा रहता है। कुछ लोगों का कहना है कि जरूरी नहीं है कि आदिवासी समुदाय जंगलों में रहता हो। वहीं संविधान सभा की बहस के दौरान हॉकी खिलाड़ी जयपाल सिंह मुंडा ने आदिवासी शब्द के प्रयोग पर जोर दिया। जयपाल सिंह बाद में संविधान सभा में आदिवासी प्रतिनिधि बने। उन्होंने संविधान सभा में सवाल किया कि हिंदी में अनुवाद करने पर ‘आदिवासी’ शब्द ‘वनजाति’ क्यों बना।

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