गुजरात के मोरबी में रविवार शाम मच्छु नदी में बना केबल ब्रिज के अचनाक टूटने से बड़ा हादसा हो गए है। इस हादसे में अब तक 132 से अधिक लोग की मौत हो चुकी है। जानकारी के अनुसार हादसे के समय पुल पर 400 से ज्याद लोग मौजूद थे। ये लोग रविवार की छुट्टी होने की वजह से ब्रिज पर घूमने पहुंचे थे। अब तक 177 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है। कई लोग इस समय अस्पताल में भर्ती हैं। मौके पर लगातार राहत और बचाव कार्य जारी है। हादसे को देखते हुए लग रहा है कि अभी मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है।
2 करोड़ की लागत से की थी पुल की मरम्मत
बता दें कि केबल ब्रिज 100 साल से अधिक पुराना है। ये ब्रिटिश शासन के दौरान मच्छु नदी पर बनाया गया था। राजा-महाराजाओं के समय का ये पुल ऋषिकेश के राम और लक्ष्मण झूला पुल की तरह झूलता रहता था। इसलिए इसे झूलता पुल भी कहा जाता था। इसे दीवाली के एक दिन बाद और गुजराती नव वर्ष पर रिनोवेशन के बाद चालू किया गया था। 2 करोड़ रुपये की लागत से इस पुल की मरम्मत की गई थी। मरम्मत के बाद इसे खोल दिया गया था। खोलने के पांच दिन के भीतर ही इतना बड़ा हादसा होने पर अब कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
इस कंपनी को सौंपी थी पुल के रखरखाव की जिम्मेदारी
वहीं अंग्रेजों के जमाने के इस ब्रिज के रखरखाव की जिम्मेदारी वर्तमान में ओरेवा ग्रुप के पास है। आपको बता दें कि पहले इस पुल के रख रखाव की पूरी जिम्मेदारी नगर निगम के पास थी। बाद में इसके लिए एक ट्रस्ट का गठन किया गया। इसी ट्रस्ट ने कुछ समय पहले पुल के पुनर्निर्माण और रख रखाव को लेकर ओरेवा कंपनी को टेंडर दिया था। जिसके बाद इस ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 यानी 15 साल के लिए इस पुल के रखरखाव, सफाई, सुरक्षा और टोल वसूलने जैसी सारी जिम्मेदारी ओरेवा कंपनी को दी गई थी।
100 की क्षमता वाले पुल पर 400 लोग क्यों…
वहीं बड़ी बात ये है कि इस पुल की क्षमता करीब 100 लोगों की ही है। लेकिन इस पुल पर हादसे के वक्त 400 लोग मौजूद थे। वहीं इस पुल पर आने के लिए लोगों को 17 रुपए और बच्चों को 12 रुपए का टिकट खरीदना होता था।
इसलिए ऐसे में ये भी कहा जा रहा है कि दिवाली के बाद ये पहला वाले वीकेंड था। इसलिए कमाई के लालच में इस पुल को बिना फिटनेस जांच के ही खोल दिया गया। वहीं प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया है कि घटना के वक्त करीब 400 से 500 लोग पुल पर मौजूद थे। ऐसे में इतने लोगों का बोझ पुल सह नहीं पाया और टूट गया।
फिटनेस चेक किए बिना पुल को खोला…
वहीं सात महीने से इस पुल की मरम्मत का काम चल रहा था। मरम्मत कार्य के बाद लोगों के लिए इसे फिर से खोल दिया गया था। इसी बीच मोरबी नगर पालिका के अधिकारी संदीपसिंह जाला ने बताया कि मरम्मत के बाद इसे जनता के लिए खोला गया था। लेकिन स्थानीय नगरपालिका ने अभी तक पुल को लेकर कोई फिटनेस प्रमाण पत्र जारी नहीं किया था।
कटघरे में खड़ी ओरेवा कंपनी और स्थानीय प्रशासन
इस हादसे में इतने लोगों की जान जाने के बाद ओरेवा कंपनी और स्थानीय प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इस हादसे को लेकर कई सवाल उठ रहे के कि अगर पुल की अधिकतम क्षमता 100 लोगों की है तो हादसे के समय पुल पर 400 से अधिक लोग कैसे पहुंचे। तो वहीं जब स्थानीय नगर पालिका ने मरम्मत के बाद कोई फिटनेस प्रमाणपत्र जारी नहीं किया था तो किसके आदेश से पुल को दोबारा लोगों के लिये खोला गया।