मणिपुर में पिछले 3 महीनें से दो जातीय समुदाय मे आरक्षण को लेकर हिंसा प्रर्दशन अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस हिंसा पर्दशन में अब तक 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। मणिपुर में भड़की हिंसा के कारण इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई थी और इस हिंसा में कितने ही लोग अपने ही घरों से बघर हो चुके है। जिसे लेकर 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट मे दोबारा सुनवाई की गई। बता दे कि पिछली सुनवाई में अदालत ने सरकार से कई अहम सवाल पूछे थे जिनका जवाब देने के लिए कोर्ट में आज सुनवाई हुई है।
क्या बोले सीजेआई?
मणिपुर हिंसा को लेकर मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई हुई जिस दौरान डीवाई चंद्रचूड़ ने एक बड़ी टिप्पणी की है उन्होंने कहा कि यह साफ है कि मणिपुर के हालात राज्य की पुलिस के काबू से बाहर है और मई से जुलाई तक कानून व्यवसथा ठप हो गई है। कोर्ट मे आगे कहा गया है कि सीबीआई को मामले की जांच सौपने पर अभी तक FIR तक दर्ज नहीं हो पा रही है। आगे कहा कि अगर 6000 में से 50 एफआईआर सीबीआई को सौंप भी दिए जाएं तो बाकी 5950 का क्या होगा और ये बिलकुल स्पष्ट है कि वीडियो मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में काफी देरी हुई है। ऐसा लगता है कि पुलिस ने महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का वीडियो सामने आने के बाद उनका बयान दर्ज किया होगा।
सॉलिसीटर ने की स्टेटस रिपोर्ट पेश
सॉलिसीटर तुषार महेता ने मणिपुर पर अदालत में उठाए सवालों को लेकर कहा कि हमनें एक स्टेटस रिपोर्ट तैयार की है। ये रिपोर्ट तथ्यों के अधार पर है, भावनात्मक दलीलों पर नहीं है। मणिपुर सरकार ने सभी थानों को निर्देश दिए गए है कि वो महिलाओं के प्रति अपराध के मामलों में तुरंत एफआईआर दर्ज कर और तेज कार्रवाई करें.