Political News-वन नेशन वन इलेक्शन का मुद्दा अब सिरे से बदलने वाला है। सरकार इसको लेकर पूरी तरह से तैयार है और पार्लियामेंट में इस विषय पर विधेयक (बिल) पेश करने की योजना बना रही है। हालांकि, पहले इस पर किसी भी प्रकार की चर्चा नहीं होगी, लेकिन सरकार इसे लाने के लिए पूरी तरह से तैयार है और एक ठोस योजना बनाई है।
सूत्रों के अनुसार, सरकार जब भी यह विधेयक पेश करेगी, तो इसे पहले जेपीसी (जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी) के पास भेजा जा सकता है ताकि इस पर सभी पक्षों से राय ली जा सके। सरकार का यह भी विचार है कि विधेयक पर गहरी चर्चा की जाए और सभी विधानसभाओं को इसमें शामिल होने का अवसर दिया जाए।
सरकार को यह तय करना है कि इस बिल को एक व्यापक विधेयक के रूप में पेश किया जाए या फिर इसे अलग-अलग छोटे विधेयकों में बांटा जाए। इस विधेयक में संविधान में संशोधन की आवश्यकता हो सकती है, ताकि इसे देश में सही तरीके से लागू किया जा सके।
कोविंद कमेटी की सिफारिशें
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक समिति बनाई गई थी। इस समिति ने मार्च महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी। रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई थी कि चुनावों को दो चरणों में आयोजित किया जाए। पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराया जाए, जबकि दूसरे चरण में स्थानीय निकाय चुनाव आयोजित किए जाएं।हाल ही में केंद्र सरकार ने इन सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है और अब इसे लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं।
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आगे की रणनीति
अब सरकार को यह निर्णय लेना है कि इस विधेयक को एक साथ एक ही बड़ा विधेयक पेश किया जाए या फिर इसे कई छोटे विधेयकों के रूप में पेश किया जाए। इस पर सभी राजनीतिक दलों से राय ली जाएगी क्योंकि यह बड़ा बदलाव है और इससे सभी की राय जरूरी होगी। इसके बाद इसे राज्य विधानसभाओं से पास कराना होगा, क्योंकि यह एक संवैधानिक संशोधन विधेयक होगा।
इसके लिए 50 फीसदी राज्यों का समर्थन प्राप्त करना जरूरी होगा। अगर यह विधेयक पास होता है, तो फिर अनुच्छेद 327 में संशोधन किया जाएगा और इसमें “एक देश, एक चुनाव” का प्रावधान शामिल किया जाएगा।
वन नेशन वन इलेक्शन का मकसद
“वन नेशन वन इलेक्शन” का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ चुनाव कराए जाएं। इससे चुनावी प्रक्रिया में न केवल खर्च कम होगा, बल्कि समय की भी बचत होगी। इसके अलावा, राजनीतिक अस्थिरता में भी कमी आ सकती है क्योंकि चुनावों के समय एक साथ होने से पूरे देश में चुनावी माहौल ज्यादा स्थिर हो सकता है।
यह बड़ा कदम सरकार के लिए एक नई दिशा को अपनाने जैसा होगा, जिससे देश में चुनावों के तरीके को नया रूप दिया जा सके।