कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बड़ा झटका लगा है। लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसद की सदस्यता को रद्द कर दिया गया है। बता दें कि गुजरात की एक अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मोदी उपनाम संबंधी टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी ठहराया। इसके साथ ही कोर्ट ने उन्हें आईपीसी की धारा 504 के तहत 2 साल की सजा सुनाई थी , हालांकि राहुल गांधी को फौरन सूरत सेशंस कोर्ट से जमानत भी दे दी गई थी। दरअसल , जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा सुनाी हुई है तो ऐसे में उनकी सदस्यता रद्द हो जाएगी। इतना ही नहीं सजा की अवधि पूरी करने के बाद वह छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए आयोग्य होते हैं।
जानिए क्या है पूरा मामला
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान राहुल ने अपने भाषण में कहा था कि चोरों का सरनेम मोदी है। सभी चोरो का सरनेम मोदी ही क्यों होता है, चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो चाहे वो नरेंद्र मोदी। इस केस की सुनवाई के दौरान राहुल गांधी तीन बार कोर्ट में पेश हुए थे। आखिरी बार अक्टूबर 2021 की पेश के दौरान उन्होंने खुद को निर्दोष बताया था।
वहीं अपनी शिकायत में बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? पूर्णेश भूपेंद्र सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री थे। वे दिसंबर में सूरत से दोबारा विधायक चुने गए हैं।
राहुल गांधी को 30 दिन की राहत दी
वहीं कोर्ट ने सजा सुनाने के साथ राहुल गांधी को 30 दिन की राहत दे दी थी, जिससे उन्हें अपील के लिए 30 दिन का समय दिया गया है। 2 साल की सजा की वजह से राहुल की सदस्यता पर भी खतरा हो सकता है लेकिन 30 दिन तक सजा सस्पेंड होने की वजह से सदस्यता बची रहेगी। कोर्ट ने राहुल गांधी के 2019 में दिए बयान सारे चोर मोदी सरनेम वाले ही क्यों होते हैं? के लिए आपराधिक मानहानि का दोषी पाया है।