उत्तराखंड के सोनप्रयाग से केदारनाथ जाने के लिए अब रोपवे के निर्माण का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है। केदारनाथ रोपवे परियोजना को राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की बैठक में स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। बता दें, इस परियोजना पर लगभग एक हजार करोड़ के खर्च होने की उम्मीद लगाई जा रही है। साथ ही रोपवे के बन जाने से राज्य में पर्यटकों की संख्या बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।
इसके साथ ही बोर्ड ने एक और बड़े फैसले को मंजूरी दे दी है। रुद्रप्रयाग में रामबाड़ा से गरुड़चट्टी के लिए 3.5 किमी लंबे पैदल मार्ग निर्माण को भी बोर्ड द्वारा सहमति दी गई है। हेमकुंड साहिब रोप वे को राष्ट्रीय वन्य जीव क्षेत्र में न बताते हुए बोर्ड ने एक तरह से इसके निर्माण का रास्ता भी साफ कर दिया है। ये रास्ता 2013 की आपदा में पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था।
इस रोपवे निर्माण की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधीन नेशनल हाईवे लाजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) ने एक कंपनी को सौंपी है। कार्यदायी संस्था इसके निर्माण के लिए प्रारंभिक सर्वेक्षण पूरा कर चुकी है। इस रोप वे में 22 टावर लगाए जाने के लिए मंजूरी दी गई है। उत्तराखंड सरकार ने रोप वे परियोजना की मंजूरी के लिए पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखा था।
प्रदेश सरकार केदारनाथ यात्रा को सुलभ व सरल बनाने के लिए उत्तराखंड के सबसे लंबे रोपवे सोनप्रयाग से केदारनाथ के निर्माण की डीपीआर बना चुकी है। लगभग 11.5 किमी लंबे इस रोप वे परियोजना की लागत एक हजार करोड़ रुपये तक आंकी गई है। रोपवे के कारण सोनप्रयाग से केदारनाथ का सफर 30-35 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। वहीं, अभी इसके लिए लगभग 16 किमी की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। रोपवे की क्षमता प्रति घंटा पांच हजार यात्रियों को ले जाने की होगी।
बता दें, सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे पर चार स्टेशन गौरीकुंड, चीरबासा, लिनचोली और केदारनाथ में बनाए जाने के लिए मंजूरी दी गई है। यह क्षेत्र नेशनल वाइल्डलाइन सेंचुरी के अंतर्गत आता है।