यूपी के सुल्तानपुर से भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां आज एक निर्माणाधीन अस्पताल का छज्जा अचानक गिर पड़ा। जिसे लखनऊ की जलनिगम कंपनी द्वारा कराया जा रहा हैं। जिसके बाद जीरो टॉलेंस पर सवाल खड़ा हो गया है यानि शून्य सहनशक्ति।
आपको बता दें ये क्षेत्र सांसद मेनका गांधी का है। जबकि सांसद मेनका गांधी को भ्रष्टाचार से बेहद नफ़रत है। भ्रष्टाचार के कई मामलों में उनके द्वारा कार्रवाई भी की गई है। इसके बाद भी उनके संसदीय क्षेत्र के सरकारी तंत्रों में भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा। ताजा मामला जिले के अखंड नगर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बन रहे 20 बेडों के हॉस्पिटल से जुड़ा बेड वाले अस्पताल की बिल्डिंग के मेन गेट का हैं। जो अभी निर्माणाधीन हैं और कार्य चल रहा है। जिसे लखनऊ की जल निगम कंपनी के द्वारा संपादित कराया जा रहा है।
साफ दिखाई दी भ्रष्टाचार की दस्तक
वहीं बिल्डिंग के पास ऊपर लगा पोर्च कुछ दिनों बाद शटरिंग हटाते ही नीचे लटक गया। गनीमत यह रही कि इस जगह पर मजदूर और मिस्त्री का कोई काम नहीं चल रहा था। जिस वजह से किसी भी लेबर या मिस्त्री के जान माल की घटना होने से बच गई। लेकिन छज्जे के गिरते ही अस्पताल की बन रही निर्माणाधीन बिल्डिंग में भ्रष्टाचार की दस्तक साफ सुनाई दे गई।
वहीं इसी बीच इस संदर्भ में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अधीक्षक से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि बिल्डिंग का काम लखनऊ की जलनिगम कंपनी द्वारा कराया जा रहा है। यह कार्यदायी संस्था पूरे जनपद में बन रहे अस्पतालों की बिल्डिंग को बना रही है। उन्होंने यह भी बताया कि झंडारोहण के दिन छत पर चढ़े चौकीदार ने छत से निकले पोर्च पर दरार देखी तो उसकी जानकारी कार्यदायी संस्था को दी थी। लेकिन उन लोगों ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया और अब शटरिंग हटते ही पोर्च पूरा नीचे लटक गया।
20 बेड के अस्पताल के गुणवत्ता में खामियां
साथ ही साथ अवगत कराते चलें कि इससे कुछ दिन पूर्व ही कूरेभार समुदायिक स्वास्थ केंद्र के परिसर में बन रहे 20 बेड के अस्पताल के गुणवत्ता में खामियां सामने आई थी। जिसकी शिकायत जयसिंहपुर सदर के विधायक राजबाबू उपाध्याय से हुई थी, तो उन्होंने स्वंय बन रही निर्माणाधीन बिल्डिंग की गुणवत्ता को देखा था। और ख़ामी मिलने पर उन्होंने निर्माणाधीन बिल्डिंग के कार्य पर सुधार लाने तक रोक लगा दी थी। यही नहीं सीएमओ डॉ डी के त्रिपाठी को लगभग प्रत्येक सीएचसी से इस तरह की शिकायत आई थी। उन शिकायतों पर जांच भी हुई। जहां गुणवत्ता ठीक नहीं पाई गई वहां पर गुणवत्ता ठीक कर कार्य शुरू करने का फरमान सुनाया गया था। लेकिन अधिकारियों का फरमान बेअसर ही रहा है। और यहाँ भ्रष्टाचार उजागर हो गया।
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