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‘दही के पैकेट’ को लेकर राजनीति, विपक्ष ने बोला- थोपी जा रही हिंदी भाषा

Karnatak: ‘दही के पैकेट’ को लेकर सियासी खटपट, विपक्ष ने बोला- थोपी जा रही हिंदी भाषा

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। कर्नाटक चुनाव चर्चा में है, चुनाव की तारीख के ऐलान के साथ ही राज्य में राजनीति अब दही तक पहुंच गई है। दरअसल, दही के पैकेट पर हिंदी में दही लिखने की वजह से विपक्षी पार्टियां लामबंद हो गई। विपक्षी पार्टी का कहना है कि लोगों पर जबरदस्ती हिंदी थोपी जा रही है। तमिलनाडु सीएम एमके स्टैलिन ने ट्वीट करते हुए कहा कि हिंदी थोपने की जिद अब दही के पैकेट तक आ गई। दही के पैकेट पर हिंदी में लेबल लगाने को कहा गया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी मातृभाषाओं की इस तरह से अवहेलना के लिए जिम्मेदार लोगों को दक्षिण से हमेशा के लिए बाहर का रास्ता दिखाना सुनिश्चित करेगी।

दरअसल, 10 मार्च को भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने दक्षिण राज्य केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में दुग्ध सहकारी समितियों को सुझाव देते हुए बताया कि दही के पैकेट पर हिंदी में दही लिखा होना चाहिए। एफएसएसएआई अपने सुझाव में कहा है कि स्थानीय नाम को ब्रैकेट्स में आप लिख सकते हैं। एफएसएसएआई के इस सुझाव पर अब बवाल मच गया है। कर्नाटक में विपक्षी पार्टियां इसे चुनाव मुद्दा बनाने का मौका नहीं छोड़ रही है। उनका कहना है कि ऐसा करना राज्य के लोगों पर हिंदी थोपे जाने का दबाव बनाने जैसा है। विपक्षी पार्टियों ने इसके लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि यहां स्थानीय भाषा को खत्म करने की साजिश की जा रही है।

इस मामले को लेकर कर्नाटक में जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने हमला बोला है। ट्वीट करते हुए कुमारस्वामी ने कहा कि यह जानते हुए कि कन्नड़ भाषी लोग हिंदी थोपने के सख्त खिलाफ है फिर भी एफएसएसएआई ने ‘नंदिनी’ को दही के पैकेट पर हिंदी में दही लिखने का फैसला सुनाया। इसके लिए उन्होंने कांग्रेस पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा अब यह कांग्रेस महात्मा गांधी के समय की कांग्रेस नहीं रही। कांग्रेस वह पार्टी है जिसने सत्ता के लिए सभी का चक्कर लगाया है। इस वक्त कांग्रेस समय के चक्कर में फंसी हुई है।

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