हमीरपुर। हमीरपुर जिले के एक गांव में अंग्रेजी हुकूमत में शुरू हुए महिलाओं के अनोखे दंगल को लेकर यहां तैयारियां पूरी कर ली गई है। रक्षाबंधन के दूसरे दिन गांव के बीच अखाड़े में इस बार घूंघट वाली और बुजुर्ग महिलाओं के बीच मुकाबला होने जा रहा है। इस अनोखे दंगल को देखने के लिए गांव और आसपास के इलाकों से महिलाओं की भीड़ जुटेगी लेकिन दंगल में पुरुषों की नो इन्ट्री रहेगी।
मुस्करा क्षेत्र के लोदीपुर निवादा गांव में अंग्रेजी हुकूमत में अनोखे दंगल का आगाज हुआ था, जिसमें सिर्फ महिलाएं भी दंगल में दांवपेंच दिखाती हैं। इस गांव और आसपास के तमाम इलाकों में ब्रिटिश फौजों ने जुल्म ढ़ाया था, खासतौर पर महिलाओं से अभद्रता की गई थी। अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की आग भड़कने के समय अपनी अस्मत बचाने के लिए महिलाओं ने पुरुषों को बिना बताए कुश्ती के दांवपेंच सीखे।
गांव की सरपंच गिरजा देवी ने बताया कि बुन्देलखंड क्षेत्र का यही एक अकेला गांव है, जहां अंग्रेजों के जमाने से महिलाओं के दंगल होने की परम्परा चल रही है। उन्होनें बताया कि गांव के बीच महिलाओं के अनोखे दंगल को लेकर तैयारियां पूरी हो गई है। अखाड़े में दांवपेंच दिखाने वाली महिलाओं की सूची तैयार कराई जा रही है। सरपंच ने बताया कि यह अनोखा दंगल रक्षाबंधन के दूसरे दिन होगा।
अखाड़े में उतरने से पहले पूरे गांव की महिलाएं जवारे निकालकर मंगल गीत गाते हुए गांव की परिक्रमा करेगी फिर दंगल में घूंघट वाली महिलाएं मुगदर भांजते हुए अपनी कला का प्रदर्शन करेगी। सरपंच ने बताया कि इस बार महिलाओं के दंगल में बुजुर्ग महिला ही ढोल बजाकर कुश्ती लडऩे वाली महिलाओं का उत्साह बढ़ाएगी।
महिलाओं के अनोखे दंगल में पुरुषों की नो इन्ट्री
वहीं, ग्राम प्रधान प्रतिनिधि एनआर वर्मा ने बताया कि गांव में महिलाओं के अनोखे दंगल को देखने के लिए महिलाएं ही प्रवेश कर सकेगी, जबकि पुरुष दंगल के आसपास भी नहीं प्रवेश करेंगे। पुरुषों की दंगल में नो इन्ट्री लगाते हुए लाठी से लैस महिलाओं की एक टुकड़ी मुस्तैद रहेगी। दंगल में घूंघट वाली महिलाएं आपस में भिड़ेगी। वहीं, तमाम बुजुर्ग महिलाएं भी दंगल में दांवपेंच दिखाएगी।
गांव के संतोष शुक्ला व राजू पाठक समेत तमाम बुजुर्गों ने बताया कि महिलाओं का दंगल अंग्रेजों के जमाने से चल रहा है। अंग्रेज सैनिकों के अत्याचार का जवाब देने के लिए उस जमाने में महिलाओं ने अखाड़े में दांवपेंच सीखे थे। तभी से यह परम्परा जारी है। लेकिन ये परम्परा कोरोना की पहली लहर को देखते हुए यहां अनोखी परम्परा एक बार टूटी थी जिससे महिलाएं मायूस हुई थी।