गाजियाबाद: गाजियाबाद जिला दिल्ली से सटा हुआ है और बीजेपी का गढ़ माना जाता है। ये एक औधगिक शहर है और यहां बड़े पैमाने पर प्रवासी रहते हैं, जो चुनाव के मद्देनजर काफी अहम हो जाते हैं। गाजियाबाद जिले में 5 विधानसभा सीटें हैं-गाजियाबाद सदर, साहिबाबाद, लोनी, मोदीनगर और मुरादनगर। 2017 के चुनाव में इन सभी सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया और 2022 में इन्हें अपने कब्जे में रखना ही बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि किसान आंदोलन के बाद से इस बार यहां के समीकरण बदले नजर आ रहे हैं। गाजियाबाद में पहले दौर में ही 10 फरवरी को वोटिंग होगी।
गाजियाबाद सदर- यहां से मौजूदा विधायक बीजेपी के अतुल गर्ग हैं, जो योगी सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री भी हैं। साल 2017 के आंकड़ों के मुताबिक गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट में करीब 4.22 लाख मतदाता हैं। इसमें सबसे ज्यादा ब्राह्मण 53856, वैश्य 35672, दलित 76573, मुस्लिम 33555, ठाकुर 25566, यादव 11745, पंजाबी 12421 और ओबीसी 43786 है। 2017 में अतुल गर्ग ने बसपा के सुरेश बंसल को करीब 70 हजार वोट के बड़े अंतर से हराया था, वहीं उसके पिछले चुनाव यानी 2012 में सुरेश बंसल ने बसपा के टिकट पर अतुल गर्ग को ही करीब 12 हजार वोट के अंतर से हराया था।
इस बार भी गाजियाबाद सदर सीट से बीजेपी ने अतुल गर्ग पर ही दांव खेला है। समाजवादी पार्टी ने अनारक्षित सीट होने के बावजूद दलित चेहरे विशाल वर्मा को उतारा गया है। विशाल वर्मा साल भर पहले ही बसपा से सपा में आए हैं। कांग्रेस ने पूर्व लोकसभा सदस्य प्रकाश गोयल के बेटे सुशांत गोयल को चुनावी मैदान में उतारा है।
गाजियाबाद की जनता इस बार कई मुद्दों को ध्यान में रखकर वोट करने जा रही है। यहां लोगों का कहना है कि पिछले 5 साल में काफी विकास हुआ है। मेट्रो से लेकर सफाई व्यवस्था सभी में सुधार हुआ है। लेकिन मंहगाई और रोजगार का मुद्दा बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है।
साहिबाबाद- इस विधानसभा से बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक सुनील शर्मा को ही फिर से उतारा है। इस बार विपक्ष जातीय समीकरणों के सहारे बीजेपी को शिकस्त देने की तैयारी में हैं। साहिबाबाद विधानसभा सीट पर करीब 8 लाख 50 हजार मतदाता है, जिनमें सबसे ज्यादा मुस्लिम 1 लाख 50 हजार, ब्राह्मण 90 हजार, दलित 35 हजार, वैश्य 45 हजार, पूर्वांचली 65 हजार और त्यागी 55 हजार। सपा ने यहां अमरपाल शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है। सपा की रणनीति है कि मुस्लिम तो उसका कोर वोटबैंक है ही, ब्राह्मण उम्मीदवार के जरिये वो दो बड़े वोटबैंक को साधने की फिराक में है। 2017 में अमरपाल शर्मा ने कांग्रेस की तरफ से विधानसभा चुनाव लड़ा था और तब दूसरे नंबर पर रहे थे। इसके अलावा बसपा ने अजीत कुमार को और कांग्रेस ने संगीता त्यागी को अपना प्रत्याशी बनाया है।
2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के सुनील शर्मा ने कांग्रेस प्रत्याशी अमरपाल शर्मा 1.5 लाख वोट के बड़े अंतर से हराया था। उससे पहले 2012 के विधानसभा चुनावों में बसपा से अमरपाल शर्मा ने बीजेपी के सुनील शर्मा को करीब 24 हजार के वोट से हराया था।
साहिबाबाद के इंडस्ट्रियल एरिया में प्रवासी मजदूरों को कई सुविधाएं अभी तक नहीं मिल पाई हैं। प्रवासी मजदूरों से भरे इस इलाके में कई मांगें अधूरी हैं।सरकारी अस्पताल, डिग्री कॉलेज की मांग भी अभी पूरी नहीं हुई है। इसके अलावा महंगाई का मुद्दा भी लगातार उठ रहा है। ज़ाहिर है इन सभी मुद्दों पर जवाबदेही सत्ताधारी पार्टी के कैंडिडेट की ही बनेगी। विपक्ष इन्हीं मुद्दों और जातीय समीकरणों के आधार पर अपने दांव चल रहा है।
लोनी- इस विधानसभा सीट पर भी बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक नंदकिशोर गुर्जर पर ही दांव लगाया है। लोनी में आधा शहरी क्षेत्र है और आधा ग्रामीण। ऐसे में इस बार यहां पर किसान आंदोलन का भी असर दिख सकता है। लोनी विधानसभा सीट साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी।यहां कुल 4.5 लाख मतदाता हैं। 90 हजार मुस्लिम, 40 हजार पूर्वांचली, 30-30 हजार ब्राह्मण और दलित, 23 हजार वाल्मीकि, 18 हजार त्यागी और 2 लाख अन्य मतदाता।
2012 के चुनाव में पहली बार यहां की जनता ने अपना विधायक चुना। 2012 में बसपा के जाकिर अली ने बीजेपी के मदन भैया को हराकर जीत हासिल की। 2017 में बीजेपी ने नंद किशोर गुर्जर को उतारकर इस सीट पर कब्जा जमाया।इस बार मदन भैया आरएलडी और सपा गठबंधन के साझा उम्मीदवार हैं तो बसपा से हाजी आकिल चौधरी, क्रांगेस ने यामीन मलिक पर दांव लगाया है। उम्मीदवारों के लिहाज से इस बार लोनी में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है।
लोनी के वर्तमान विधायक नंदकिशोर गुर्जर दावा करते हैं कि उन्होने क्षेत्र में खूब विकास किया है लेकिन जनता अभी भी इलाके में विकास अधूरा मानती है।सड़कों का निर्माण, ट्रैफिक व्यवस्था सुधारना, पीने के पानी, सीवर और बिजली की व्यवस्था भी यहां के वोटर के लिए चुनावी मुद्दे हैं।
मोदीनगर- यह विधानसभा सीट फिलहाल बीजेपी के पाले में है। यहां से बीजेपी की डॉ मंजू शिवाच विधायक हैं। इस सीट की खास बात ये है कि यहां पर मतदाताओं ने हर चुनाव में अपना प्रतिनिधि बदला है। इस शहर की स्थापना 1933 में रायबहादुर गूजर मल मोदी ने यहां मोदी चीनी मिल शुरु करके की थी। उन्होनें ही इस जगह का नाम अपने कुल मोदी के नाम पर मोदीनगर रखा था। मोदीनगर विधानसभा सीट प्रमुख तौर पर ग्रामीण आबादी वाली सीट है।किसान आंदोल का भी यहां अच्छा खासा प्रभाव रहा। जातिगत समीकरण की बात करे तो यहां 3 लाख 30 हजार कुल मतदाता है, जिनमें 1 लाख 25 हजार ओबीसी, 50 हजार जाट, 50 हजार मुस्लिम, 35 हजार ब्राह्मण, 30 हजार दलित औऱ 25 हजार वैश्य हैं।
2022 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने वर्तमान विधायक श्रीमती मंजू शिवाच को फिर से प्रत्याशी बनाया है। वहीं सुदेश शर्मा सपा-आरएलडी गठबंधन प्रत्याशी हैं।बीएसपी ने पूनम गर्ग और कांग्रेस ने नीरज कुमारी प्रजापती पर भरोसा जताया है। 2017 में मंजू शिवाच ने बसपा प्रत्याशी वहाब चौधरी को करीब 66 हजार वोटो के अंतर से हराया था। वहीं 2012 में आरएलडी के सुदेश शर्मा ने बसपा के राजपाल सिंह को करीब 14 हजार वोटों से हराया था।
यहां की जनता के दो ही सबसे बड़े मुद्दे हैं। पहला खस्ताहाल सड़के, जिससे सड़कों पर अक्सर जाम की स्थिति बनती है, दूसरा मुद्दा है रोजगार। हालांकि यहां किसान आंदोलन के मुद्दे को भी नकारा नहीं जा सकता है।
मुरादनगर- गाजियाबाद की बाकी सीटों की तरह मुरादनगर सीट भी बीजेपी के कब्जे में है। यहां से बीजेपी के अजीत पाल त्यागी विधायक हैं और 2022 के उम्मीदवार भी। मुरादनगर की पहचान कॉटन के कपड़ों के काम और आयुध कारखाने से है। मुरादनगर पहले पूरी तरह से ग्रामीण आबादी वाला क्षेत्र था, लेकिन परिसीमन के बाद शहरी हिस्सा भी इसमें शामिल हो गया। जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां पर कुल 4 लाख 21 हजार मतदाता हैं, जिनमें 75 हजार ओबीसी, 55 हजार जाट, 40 हजार त्यागी, 45 हजार मुस्लिम, 40 हजार ब्राह्मण, 45 हजार दलित 25 हजार वैश्य और 20 हजार पंजाबी मतदाता हैं।
विधानसभा चुनाव 2022 में यहां से कांग्रेस ने बिजेंद्र यादव को चुनावी मैदान में उतारा है, बसपा ने हाजी अय्यूब इदरिशी और सपा-आरएलडी गठबंधन ने सुरेंद्र कुमार मुन्नी पर भरोसा जताया है। 2017 में अजीत पाल त्यागी ने बसपा के सूधन कुमार को 89 हजार वोट के अंतर से हराया था। 2012 में बसपा के वहाब चौधरी ने सपा प्रत्याशी राजपाल त्यागी को महज 3622 वोटों के अंतर से हराया था।
मुरादनगर में भी मोदीनगर की तरह सबसे पहला मुद्दा है खस्ताहाल सड़कें और उन पर लगता लंबा जाम है। यहां दूसरा मुद्दा है किसान आंदेलन। हालांकि मोदी सरकार ने कृषि कानून वापस ले लिया है फिर भी इसका असर यहां चुनाव में देखने को मिल सकता है।