वारणसी कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला। कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजुखाने में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग नहीं कराने का फैसला सुनाया है। कोर्ट की ओर से अपने फैसले में साफ कर दिया गया है कि मस्जिद में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराकर इसकी उम्र के संबंध में वैज्ञानिक साक्ष्य हासिल नहीं किए जाएंगे। हिंदू पक्ष इस शिवलिंग को प्राचीन विश्वेशवर महादेव करार दे रहा है। वहीं दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष इसे लगातार फव्वारा बताते हुए कार्बन डेटिंग का विरोध कर रह है। कोर्ट के फैसले ने ज्ञानवापी मुद्दे को एक बार फिर गरमा दिया है। कार्बन डेटिंग की मांग वाराणसी कोर्ट ने खारिज कर दी है। वहीं कोर्ट के इस फैसले को हिंदू पक्ष के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
बता दें कि 11 अक्टूबर को कोर्ट ने फैसला 14 अकटूबर के लिए सुरक्षित रख लिया था। कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक परिक्षण के मामले में बहस पूरी होने के बाद ये फैसला सुनाया गया। कोर्ट ने मांग को खारिज करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जहां कथित शिवलिंग पाया गया है, इसे सुरक्षित रका जाए. ऐसे में अगर कार्बन डेटिंग के दैरान कथित शिवलिंग को क्षति पहुंचती है तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा. ऐसा होने से आम जनत की धार्मिक भावनाओं को भी चोट पहुंच सकती है।
जानिए किसने रखी थी मांग
दरअसल, हिदू पक्ष जिसे शिवलिंग कह रहा है उसे मुस्लिम पक्ष फव्वारा बता रहा है। हिंदू पक्ष की मांग थी कि कथित शिवलिंग की जांच के लिए कार्बन डेटिंग कराई जाए. ताकि उसकी उम्र का पता चले और फिर दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए. कार्बन डेटिंग की मांग चार महिलाऔं ने की थी। जिसके बाद शुक्रवार को वारणसी के जिला डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत इस मामले में फैसला सुनाया है।
बता दें कि किसी वस्तु की उम्र और समय निधर्नारण की विधि को कार्बन डेटिंग कहते है. इससे 20 हजार साल पुरानी वस्तुओं की उम्र का पता लगाया जा सकता है. कार्बन डेटिंग विधि की खोज 1949 में कि गई थी। इसलिए हिंदू पक्ष शिवलिंग की उम्र का पता लगवाने के पक्ष में है. यह पूरा मामला मस्जिद की दीवार से सटी श्रृंगार गौरी की पूजा अर्चना की इजाजत की मांग से शुरू हुआ था, जो शिवलिंग के दावे तक पहुंचा है।
हाईकोर्ट में अपील करेगा अब हिंदू पक्ष
कोर्ट के फैसले पर हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने कहा हमारी कार्बन डेटिंग की मांग को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि शिवलिंग
के साथ कोई छेड़छाड़ ना हो, अभी इसकी आवश्यकता नहीं है। हम हाईकोर्ट में भी अपनी बात रखेंगे क्योंकि विज्ञान की कसौटी पर जीवन जिया जा सकता है।