उत्तर प्रदेश में रोड इंफ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करने के लिए राज्य में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत एफ़डीआर (फ़ुल डेप्थ रेक्लेमेशन) तकनीक से सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। इस तकनीक से प्रभावित होकर इसका प्रशिक्षण लेने के लिए देश के विभिन्न राज्यों से इंजीनियर, कंसल्टेंट, तकनीकी विशेषज्ञों की टीम भी उत्तर प्रदेश में आ रही है।
पर्यावरण के लिहाज से भी अनुकूल है एफडीआर
उत्तर प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी भानू चंद्र गोस्वामी का कहना है कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत पुरानी सड़क के निर्माण में एफडीआर तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है, जो पूरे देश में मॉडल बन गई है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक से जहां एक ओर कम खर्च में सड़क बन रही है वहीं दूसरी ओर पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से भी यह तकनीक काफी कारगर है।
वह बताते हैं कि दरअसल, इसके निर्माण में तारकोल का प्रयोग नहीं होता है। साथ ही पुरानी सड़क की गिट्टी समेत अन्य चीजों का इस्तेमाल दोबारा सड़क बनाने में किया जाता है। ऐसे में ट्रांसपोर्टेशन पर खर्च नहीं होता है। इस तकनीक से बनी सड़क की लाइफ भी काफी ज्यादा होती है।
एफडीआर तकनीक से बनीं 1200 किमी सड़कें
भानू चंद्र गोस्वामी ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले 100 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण एफडीआर तकनीक से किया गया था। इसके सफल परिणाम आने के बाद 1200 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया गया। अभिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि एफडीआर तकनीक से सड़क निर्माण में खर्च भी कम आता है। सामान्य तरीके से साढ़े पांच मीटर चौड़ी और एक किलोमीटर लंबी सड़क बनाने में एक करोड़ 30 लाख का खर्च आता है जबकि इस तकनीक से सड़क बनाने में करीब 98 लाख रुपये का खर्च आता है।
इस वर्ष बनेंगी 5500 किमी सड़कें
उन्होंने बताया कि प्रदेश में पीएमजीएसवाई की करीब 57 हजार किमी सड़क है। इस वर्ष 5500 किमी सड़क को उच्चीकृत करने के लिए एडाप्ट किया गया है। प्रदेश के 63 जिलों की इन सड़कों को एफडीआर तकनीक से सड़क बनवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि पीडब्ल्यूडी ने भी इस तकनीक से अपनी रोड बनाने का फैसला लिया है।
इस तकनीक का प्रशिक्षण लेने उप्र आ रहे कई राज्यों के इंजीनियर
गोस्वामी ने बताया कि इस एफडीआर तकनीक से प्रभावित होकर देश के विभिन्न राज्यों के इंजीनियर, कंसल्टेंट और तकनीकी विशेषज्ञ इसका प्रशिक्षण लेने उत्तर प्रदेश में आ रहे हैं। त्रिपुरा, बिहार, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड व असम आदि राज्यों से टीमें प्रशिक्षण के लिए आ चुकी हैं। इसके साथ ही यहां की टीम ने राजस्थान और बिहार में एफडीआर तकनीक से रोड बनाने का प्रशिक्षण दिया है।
यह है एफडीआर तकनीक
एफडीआर तकनीक से पुरानी रोड का उच्चीकरण किया जाता है। इसमें पुरानी सड़क की गिट्टी समेत अन्य चीजों का ही इस्तेमाल किया जाता है। सड़क को जापान और नीदरलैंड की मशीन से सीमेंट और एडिटिव को मिक्स करके बनाया जाता है। इसके बाद एक लेयर केमिकल की बिछायी जाती है। विदेशों में इसी तकनीक से रोड को बनाया जाता है। इस तकनीक से बनी सड़क की लाइफ दस साल होती है जबकि सामान्य तरीके से बनी सड़कें मात्र पांच साल तक ही चल पाती हैं।