Neha Singh Rathore : सिंगर नेहा सिंह राठौर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इंकार कर दिया है। यह एफआईआर नेहा के विवादित सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर दर्ज हुई थी, जिनमें पहलगाम आतंकी हमला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिहार चुनाव और हिंदू-मुस्लिम राजनीति से जुड़ी टिप्पणियाँ शामिल थीं। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट में तर्क दिया कि नेहा पर देशद्रोह जैसे गंभीर आरोप गलत तरीके से लगाए गए हैं। नेहा ने पूरी एफआईआर रद्द करने की बजाय केवल कुछ खास धाराओं को हटाने की मांग की थी।
जस्टिस जे के माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की पीठ ने स्पष्ट किया कि फिलहाल वे ‘विद्रोह के आरोप’ जैसे संवेदनशील मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को प्रभावित करते हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने नेहा को आरोप तय होने के दौरान इस मामले पर बहस करने की छूट भी दी है। नेहा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 19 सितंबर के आदेश को चुनौती देते हुए इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में पहुंचाया था, जिसमें एफआईआर रद्द करने से मना किया गया था।
एफआईआर किसने दर्ज कराई?
इस मामले में नेहा पर एक विशेष धार्मिक समुदाय को निशाना बनाने और देश की एकता को खतरे में डालने का आरोप है। हजरतगंज थाने में अभय प्रताप सिंह नाम के एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर एफआईआर कायम हुई। अभय ने नेहा पर धार्मिक आधार पर समुदायों के बीच नफरत फैलाने की लगातार कोशिश करने का आरोप लगाया था।
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नेहा की याचिका में दी गई दलीलें
नेहा सिंह ने अपनी याचिका में बताया कि उन पर भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें सांप्रदायिक नफरत फैलाना, शांति व्यवस्था भंग करना और देश की संप्रभुता, एकता एवं अखंडता को नुकसान पहुंचाना शामिल है। इसके अलावा उन पर आईटी एक्ट के तहत भी मामला दर्ज है। नेहा का दावा है कि ये आरोप अनुचित और गलत तरीके से लगाए गए हैं।