सफला एकादशी (Saphala Ekadashi) 2025: तिथि, व्रत विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त

सफला एकादशी 2025 पौष कृष्ण पक्ष की एकादशी को 15 दिसंबर 2025 को मनाई जाएगी। यह तिथि भगवान विष्णु की आराधना का पावन दिन है। व्रत रखने से सौभाग्य, सफलता और पापों से मुक्ति का आशीर्वाद मिलता है।

Lord Vishnu

Lord Vishnu | Credit: Freepik

सफला एकादशी हिंदू पंचांग के पौष महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाने वाली अत्यंत पावन तिथि है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की उपासना और व्रत रखने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि तथा सफलता प्राप्त होती है। ‘सफला’ शब्द का अर्थ ही होता है—सफलता प्रदान करने वाली, इसलिए यह एकादशी उन लोगों के लिए विशेष शुभ मानी जाती है जो अपने जीवन में उन्नति, सौभाग्य और शांति की कामना करते हैं।

धार्मिक ग्रंथों में सफला एकादशी को अत्यंत पुण्यकारी बताया गया है और यह माना जाता है कि इसका व्रत करने से अनेक यज्ञों के समान फल प्राप्त होता है। देशभर के विष्णु एवं कृष्ण मंदिरों में इस दिन भव्य आयोजन, भजन, कीर्तन और जागरण का विशेष महत्व होता है।

सफला एकादशी 2025: तिथि, मुहूर्त और महत्वपूर्ण समय

सफला एकादशी 2025 कब है?

सफला एकादशी 2025 सोमवार, 15 दिसंबर 2025 को मनाई जाएगी।

महत्वपूर्ण मुहूर्त (Important Timings)

विवरण समय / तिथि
सूर्योदय 15 दिसंबर 2025, सुबह 7:04 बजे
सूर्यास्त 15 दिसंबर 2025, शाम 5:39 बजे
एकादशी तिथि प्रारंभ 14 दिसंबर 2025, शाम 6:50 बजे
एकादशी तिथि समाप्त 15 दिसंबर 2025, रात 9:20 बजे
हरि वासर समाप्त 16 दिसंबर 2025, सुबह 3:59 बजे
द्वादशी समाप्त 16 दिसंबर 2025, रात 11:57 बजे
पारण का समय 16 दिसंबर 2025, 7:05 से 9:12 बजे तक

सफला एकादशी का महत्व

धार्मिक मान्यता

सफला एकादशी का महत्व हिंदू धर्मग्रंथ ब्रह्माण्ड पुराण में वर्णित है। यहां भगवान कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया कि—

के समान फल भी सफला एकादशी व्रत के बराबर नहीं होता।

यह एकादशी दुर्भाग्य को दूर कर जीवन में शुभ फलों की स्थापना करती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन का व्रत व्यक्ति की इच्छाओं को पूर्ण करने और उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने की क्षमता रखता है।

आध्यात्मिक लाभ

सफला एकादशी क्यों मनाई जाती है?

‘सफला’ शब्द ‘सफलता’ का प्रतीक है। यह तिथि इसलिए विशेष मानी गई है क्योंकि:

  1. यह जीवन में नए अवसरों के द्वार खोलती है।

  2. इसे लक्ष्य प्राप्ति और इच्छापूर्ति के लिए शुभ माना जाता है।

  3. भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का यह अत्यंत प्रिय दिन है।

देश के विभिन्न क्षेत्रों में इस दिन मंदिरों में विशाल आयोजन, विशेष पूजा, भजन-कीर्तन, जागरण और दान-पुण्य किया जाता है।

सफला एकादशी व्रत और पूजा विधि

व्रत रखने के नियम

1. व्रत की शुरुआत

2. उपवास नियम

पूजा कैसे करें? (Puja Vidhi)

आवश्यक सामग्री

पूजा विधि

  1. भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की प्रतिमा/चित्र को गंगाजल से शुद्ध करें।

  2. दीपक जलाकर पूजा प्रारंभ करें।

  3. तुलसी दल अर्पित करें — यह विशेष रूप से पुण्यदायी माना जाता है।

  4. धूप, फूल, नैवैद्य और आरती करें।

  5. दिनभर विष्णु सहस्रनाम, गोविंद स्तुति, गीता के श्लोक आदि का पाठ करें।

जागरण का महत्व

दान-पुण्य

एकादशी के दिन दान करने का विशेष महत्व है।
दान में ये वस्तुएं दे सकते हैं:

दान से व्रत पूर्ण माना जाता है और पुण्यफल कई गुना बढ़ जाता है।

सफला एकादशी व्रत के लाभ

आध्यात्मिक लाभ

दैविक लाभ

स्वास्थ्य संबंधी लाभ (प्राकृतिक दृष्टि से)

सफला एकादशी की प्रचलित कथा (संक्षेप में)

पुराणों के अनुसार महिष्मति नगरी के राजा महिष्मान का बड़ा पुत्र लुंपक अत्यंत दुष्ट और पापी था। उसके बुरे कर्मों के कारण राजा ने उसे राज्य से निकाल दिया। एक दिन कठोर ठंड में वह जंगल में बेहोश पड़ा था। उस दिन संयोग से सफला एकादशी थी। भूखे-प्यासे दिनभर रहने और रातभर जागने के कारण अनजाने में ही उसका एकादशी व्रत हो गया। भगवान विष्णु उस पर प्रसन्न हुए और उसे नया जीवन, सौभाग्य तथा परिवार से पुनर्मिलन का आशीर्वाद मिला।

यह कथा दर्शाती है कि सफला एकादशी व्रत अनजाने में भी किया जाए तो महान पुण्य मिलता है

सफला एकादशी व्रत न केवल आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है, बल्कि जीवन में सौभाग्य, समृद्धि और शांति भी लाता है। भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए यह एक अत्यंत शुभ अवसर है। जो व्यक्ति श्रद्धा और नियम से यह व्रत करता है, उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव अवश्य आते हैं।

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