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Deepfake पर लगेगी लगाम! डिजिटल पहचान की सुरक्षा को मिलने वाली है नई कानूनी ढाल

डीपफेक ऐसे फर्जी वीडियो, ऑडियो और तस्वीरें होते हैं, जिन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की तकनीक से इस तरह बनाया जाता है कि वे बिल्कुल असली नजर आते हैं।

by Gulshan
August 5, 2025
in Latest News, टेक्नोलॉजी
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Deepfake
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Deepfake : डीपफेक एक उन्नत तकनीक है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल करके असली जैसे दिखने वाले नकली वीडियो, ऑडियो और तस्वीरें तैयार की जाती हैं। इसमें किसी व्यक्ति की आवाज़ या चेहरे को इस तरह एडिट किया जाता है कि वह कुछ ऐसा कहते या करते दिखे, जो असल में उसने किया ही नहीं — जैसे किसी फिल्म सीन में अभिनेता की शक्ल बदल देना या किसी नेता को गलत बयानों के साथ पेश करना।

हालांकि कभी-कभी ये मनोरंजन का ज़रिया लग सकते हैं, लेकिन ये गंभीर रूप से किसी की पहचान, प्रतिष्ठा और निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं। वर्ष 2023 में, अमेरिका में कलाकारों ने AI के इस दुरुपयोग के खिलाफ अपनी छवि की रक्षा के लिए हड़ताल भी की थी।

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डेनमार्क क्यों बना रहा है नया कानून?

डेनमार्क सरकार AI से बने डीपफेक कंटेंट पर नियंत्रण पाने के लिए अपने कॉपीराइट कानून में बदलाव की योजना बना रही है। यह पहल खासतौर पर व्यक्ति की डिजिटल पहचान — जैसे चेहरा और आवाज़ — की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है। यह यूरोपीय क्षेत्र में इस दिशा में उठाया गया पहला बड़ा क़दम माना जा रहा है।

सरकार 2025 की शरद ऋतु में इस संशोधन को संसद में पेश करने की तैयारी में है और इसे कई राजनीतिक दलों का समर्थन भी मिल रहा है। इसका मकसद सिर्फ फर्जी मनोरंजक वीडियो तक सीमित नहीं, बल्कि नकली समाचार, साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी जैसी गंभीर समस्याओं पर भी लगाम लगाना है।

डीपफेक से जुड़ी घटनाएं और उनका असर

हाल ही में कई देशों में डीपफेक के कारण गंभीर हालात बने हैं। उदाहरण के लिए, यूक्रेन और अमेरिका के शीर्ष नेताओं के फर्जी वीडियो वायरल हुए, जिससे लोगों में भ्रम फैला। ब्रिटेन की इंजीनियरिंग कंपनी Arup से $25 मिलियन की ठगी एक डीपफेक वीडियो कॉल के ज़रिए की गई। Ferrari के CEO की नकली आवाज़ से धोखाधड़ी की कोशिश की गई थी। एक पत्रकार ने अपनी खुद की आवाज़ का AI वर्जन बनाकर बैंक का वॉइस सिक्योरिटी सिस्टम तक क्रैक कर लिया। AI सुरक्षा फर्म Resemble.ai के अनुसार, 2025 की दूसरी तिमाही में 487 डीपफेक अटैक दर्ज किए गए — जो कि पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुना अधिक हैं — और इनमें कुल अनुमानित $350 मिलियन का नुकसान हुआ।

दुनिया भर में उठाए जा रहे कदम

इस खतरे को देखते हुए कई देश कानूनी ढांचे को मज़बूत करने में जुटे हैं:

  • अमेरिका में Take It Down Act के तहत आपत्तिजनक डीपफेक कंटेंट को 48 घंटे में हटाना अनिवार्य कर दिया गया है, और इसके उल्लंघन पर संघीय सजा का प्रावधान है।

  • यूरोपीय संघ का Digital Services Act (DSA) 2024 से लागू हुआ, जो ऑनलाइन गलत सूचनाओं और अवैध कंटेंट पर नियंत्रण करता है।

  • ब्रिटेन में Online Safety Act 2025 के ज़रिए डिजिटल प्लेटफॉर्मों की ज़िम्मेदारी तय की गई है।

यह भी पढ़ें : Shahjahanpur की गलियों में घूमता मिला मगरमच्छ, युवकों ने दिखाई दिलेरी…

डेनमार्क का प्रस्तावित कानून क्या करेगा?

डेनमार्क का प्रस्तावित संशोधन ये सुनिश्चित करेगा कि यदि किसी व्यक्ति की आवाज़ या छवि का गलत इस्तेमाल किया गया है, तो वह उस कंटेंट को हटवाने और हर्जाना मांगने का कानूनी अधिकार रखेगा — यहां तक कि कलाकार की मृत्यु के 50 वर्षों बाद भी ये अधिकार प्रभावी रहेंगे।

साथ ही, यदि सोशल मीडिया कंपनियां जैसे Meta या X इस कानून का उल्लंघन करती हैं, तो उन पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। इस पहल का उद्देश्य केवल व्यक्तियों की पहचान को बचाना ही नहीं है, बल्कि पूरे डिजिटल स्पेस को अधिक सुरक्षित और जवाबदेह बनाना है।

Tags: Deepfake
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