How DNA Test Helps in Identifying Victims : 12 जून 2025 को अहमदाबाद में एक बड़ा विमान हादसा हुआ, जिसमें 265 लोग मारे गए। कई शव इतने बुरी तरह जल चुके थे कि पहचान करना नामुमकिन हो गया। ऐसे में डीएनए टेस्ट ही एकमात्र तरीका था जिससे यह पता लगाया जा सकता था कि कौन शव किसका है।
डीएनए टेस्ट होता क्या है?
डीएनए यानी डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड हमारे शरीर की हर कोशिका में होता है। यह एक तरह का अनोखा पहचान पत्र है जो हमें हमारे माता-पिता से मिलता है। डीएनए टेस्ट एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिससे किसी की पहचान, रिश्ते या कुछ बीमारियों का पता लगाया जा सकता है।
हादसे के बाद डीएनए कैसे काम आता है?
जब किसी शव की हालत इतनी खराब होती है कि चेहरा पहचान में नहीं आता, तो उसका डीएनए सैंपल लिया जाता है। फिर इसे उस व्यक्ति के परिवार वालों के डीएनए से मिलाया जाता है। अगर दोनों में मेल हो जाए, तो शव की पहचान तय हो जाती है।
कौन से सैंपल लिए जाते हैं?
शव से हड्डी, दांत, बाल, खून, स्किन या नाखून लिए जाते हैं। जीवित लोगों से गाल की अंदरूनी परत (बक्कल स्वैब) ली जाती है।
कैसे होती है डीएनए टेस्टिंग?
डीएनए टेस्ट में ये चरण होते हैं
सैंपल लेना
डीएनए निकालना
डीएनए की मात्रा बढ़ाना
डीएनए को पढ़ना
रिपोर्ट बनाना,इस प्रक्रिया में कुछ घंटे से लेकर कई दिन लग सकते हैं।
रिपोर्ट कब मिलती है?
सामान्यत: 5–10 दिन लगते हैं, लेकिन अगर सैंपल जल चुका हो या खराब हो, तो 2–3 हफ्ते भी लग सकते हैं।
कितना खर्च आता है?
सामान्य डीएनए टेस्ट: ₹6,000–₹15,000
फोरेंसिक टेस्ट या हादसे वाले केस: ₹30,000 से ₹2 लाख तक
सरकारी लैब में यह मुफ्त भी हो सकता है।
क्या घर पर डीएनए टेस्ट हो सकता है?
हाँ, कुछ कंपनियाँ घर पर किट भेजती हैं, लेकिन हादसे या क्राइम वाले मामलों में यह तरीका नहीं अपनाया जाता।
कहां हो सकता है टेस्ट?
प्राइवेट लैब्स जैसे DNA Labs India, EasyDNA, Lifecell आदि दिल्ली, मुंबई, लखनऊ जैसे शहरों में हैं। सरकारी लैब में आमतौर पर कोर्ट ऑर्डर से ही टेस्ट होते हैं।
रिपोर्ट कैसी होती है?
रिपोर्ट में डीएनए सैंपल का मिलान प्रतिशत और नतीजे होते हैं। यह आमतौर पर अंग्रेज़ी में होती है।
क्या टेस्ट फेल भी हो सकता है?
हां, अगर सैंपल खराब हो, मिलावट हो या बहुत पुराना हो तो टेस्ट फेल हो सकता है। लेकिन 98% मामलों में टेस्ट सफल होता है।
भारत में किसने शुरू किया डीएनए टेस्ट?
डॉ. लालजी सिंह को इसका श्रेय जाता है। उन्होंने 1991 में पहली बार अदालत में डीएनए रिपोर्ट पेश की थी।
और कहां होता है इस्तेमाल?
रिश्तेदारी तय करने में
गुमशुदा लोगों की पहचान
अपराधियों की पहचान
आनुवंशिक बीमारियाँ जानने में
क्या यह कोर्ट में मान्य है?
हाँ, कोर्ट में डीएनए टेस्ट को सबूत के तौर पर स्वीकार किया जाता है।
क्या रिपोर्ट गोपनीय रहती है?
बिलकुल, सिर्फ संबंधित व्यक्ति, कोर्ट या पुलिस को दी जाती है। इसे लीक करना अपराध है।
क्या एक बार टेस्ट काफी है?
आमतौर पर हाँ। लेकिन अगर कोर्ट को शक हो, तो दोबारा टेस्ट हो सकता है।
डीएनए टेस्ट की सीमाएँ
थोड़ा महंगा होता है
समय लेता है
विशेषज्ञों की जरूरत होती है
सटीक सैंपल जरूरी है
फिर भी पहचान और सच्चाई जानने का यह सबसे भरोसेमंद तरीका है।