New Cyber Rules to Curb Mobile Number Fraud: दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications) ने मोबाइल नंबरों के गलत इस्तेमाल और धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए एक नया साइबर सुरक्षा नियमों का ड्राफ्ट तैयार किया है। यह ड्राफ्ट जून 2025 को पेश किया गया, जिसमें मोबाइल नंबर वेरिफिकेशन को बेहतर और सुरक्षित बनाने के लिए एक केंद्रीकृत MNV (Mobile Number Verification) प्लेटफॉर्म तैयार करने का प्रस्ताव दिया गया है।
क्या है MNV प्लेटफॉर्म?
यह नया प्लेटफॉर्म सभी कस्टमर वेरिफिकेशन करने वाले लाइसेंसधारकों को एक साथ जोड़ेगा। इसका मुख्य मकसद यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी मोबाइल नंबर का इस्तेमाल केवल तभी हो जब वो मान्य और वैध डेटाबेस में रजिस्टर्ड हो। इस प्लेटफॉर्म का उपयोग करने वाली कंपनियों को TIUE (Telecommunication Identifier User Entity) कहा जाएगा। ये कंपनियां वेरिफिकेशन के ज़रिए यह तय कर सकेंगी कि जिस नंबर का उपयोग हो रहा है, वह असली और एक्टिव है या नहीं।
वेरिफिकेशन की कीमत क्या होगी?
ड्राफ्ट में बताया गया है कि अगर कोई संस्था केंद्र या राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है, तो उसे हर मोबाइल नंबर वेरिफाई करने के लिए 1.5 रुपये देने होंगे। वहीं, प्राइवेट कंपनियों को 3 रुपये प्रति नंबर के हिसाब से चार्ज देना होगा।
हालांकि, यह अभी तय नहीं हुआ है कि यह शुल्क कौन भरेगा। कंपनियां या उपभोक्ता। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अंततः इसका बोझ आम उपभोक्ताओं पर ही पड़ सकता है।
सरकारी एजेंसियों को मिलेगा ज्यादा डेटा एक्सेस
नए नियमों के तहत सरकारी एजेंसियों और जांच से जुड़ी संस्थाओं को अब सिर्फ दूरसंचार कंपनियों से ही नहीं, बल्कि अन्य प्राइवेट संस्थाओं से भी यूजर की जानकारी और लेन-देन का डाटा लेने की अनुमति मिल सकती है। इससे फर्जी नंबरों और साइबर क्राइम पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।
बैंक पहले से कर रहे हैं पायलट टेस्टिंग
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ बैंक इस प्रक्रिया को पहले ही पायलट प्रोजेक्ट के तहत आज़मा रहे हैं। इसके तहत उन मोबाइल नंबरों को ट्रैक किया जा रहा है जो किसी धोखाधड़ी में शामिल रहे हैं। ऐसे नंबरों को 90 दिनों के लिए बंद कर दिया जाएगा और फिर उनका रिकॉर्ड मिटा दिया जाएगा ताकि जब वो नंबर किसी नए यूज़र को दिया जाए, तो उसे कोई परेशानी न हो।
क्या होगा फायदा?
इन नए नियमों से उम्मीद है कि मोबाइल नंबरों से जुड़ी धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा काफी हद तक कम किया जा सकेगा। साथ ही, बैंकिंग फ्रॉड, फर्जी कॉल और स्पैमिंग जैसी समस्याओं में भी कमी आने की उम्मीद है।