Chrome Browser: अमेरिका ने Google को दिया तगड़ा झटका, बेचने के लिए किया मजबूर!… ये है वजह

अमेरिकी सरकार ने Google के सर्च इंजन और Chrome ब्राउज़र को विभाजित करने की माँग की है, बाद में एक अदालत द्वारा Google को एक अवैध एकाधिकार रखने का दोषी ठहराए जाने के बाद। यह कदम एंटीट्रस्ट मामलों में टेक्नोलॉजी दिग्गजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का हिस्सा है।

US govt anti-trust Google breakup and Chrome browser: अमेरिकी सरकार ने बुधवार देर रात एक ऐतिहासिक निर्णय में Google को तोड़ने की माँग की है। सरकार का कहना है कि Google ने अपनी सर्च इंजन सेवा के जरिए प्रतिस्पर्धा को दबाया है, जिससे वह एक शक्तिशाली एकाधिकार बन गया है। यह कदम उस मुकदमे के बाद उठाया गया है, जिसमें कोर्ट ने Google को पिछले दस वर्षों से एक अवैध एकाधिकार बनाए रखने का दोषी ठहराया।

अमेरिकी सरकार ने Google के Chrome ब्राउज़र को बेचने की दिशा में एक अदालत से आदेश देने की अपील की है, साथ ही Android ऑपरेटिंग सिस्टम के भविष्य पर भी सवाल उठाए हैं। यह मामला टेक्नोलॉजी क्षेत्र में सबसे बड़े एंटीट्रस्ट मामलों में से एक बन चुका है।

 Chrome browser

Google का दबदबा और सरकार की कार्रवाई

अमेरिकी सरकार ने Google के खिलाफ एक महत्वपूर्ण एंटीट्रस्ट केस में अदालत से इस कंपनी को विभाजित करने की माँग की है। यह निर्णय उस मामले के बाद आया है, जिसमें अदालत ने Google को एक अवैध एकाधिकार के रूप में पाया था। अमेरिकी न्याय विभाग ने अदालत से यह अनुरोध किया कि Google के सर्च इंजन को उसके प्रभावी दायरे से बाहर किया जाए और Chrome ब्राउज़र को बेचने का आदेश दिया जाए। साथ ही, यह भी कहा गया कि यदि Google अपने Android ऑपरेटिंग सिस्टम के माध्यम से भी प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुँचाने का प्रयास करता है, तो उसे इसे भी बेचने का आदेश दिया जाए।

Google के सर्च इंजन और Chrome ब्राउज़र ने डिजिटल दुनिया में एक विशाल दबदबा कायम किया है, जिससे अन्य कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा करना कठिन हो गया है। इस मामले में अदालत का यह फैसला ऐतिहासिक माना जा रहा है, क्योंकि इससे पहले भी कुछ एंटीट्रस्ट मामलों में बड़ी टेक कंपनियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए गए थे, लेकिन यह मामला इन सब से कहीं अधिक महत्व रखता है।

Apple और अन्य कंपनियां भी हैं निशाने पर

अमेरिकी सरकार के इस कदम से सिर्फ Google ही नहीं, बल्कि अन्य बड़ी टेक कंपनियाँ जैसे Apple, Amazon और Meta भी खतरे में हैं। अमेरिकी न्याय विभाग ने यह भी संकेत दिया है कि यदि Google की बिक्री से स्थिति सामान्य नहीं होती है, तो Android के भविष्य पर भी विचार किया जा सकता है। Google ने इस फैसले को “अत्यधिक” बताते हुए इसकी आलोचना की है। कंपनी का कहना है कि ऐसा कदम उठाना बिना किसी ठोस आधार के होगा, और इससे न सिर्फ टेक्नोलॉजी क्षेत्र, बल्कि उपयोगकर्ताओं को भी नुकसान होगा।

2020 में 90 प्रतिशत सर्च मार्केट पर था Google का कब्जा

सर्च इंजन बाजार में Google का प्रभुत्व काफी मजबूत है। 2020 में, Google ने अमेरिकी ऑनलाइन सर्च मार्केट का 90 प्रतिशत हिस्सा नियंत्रित किया था, जबकि मोबाइल उपकरणों पर यह आंकड़ा 95 प्रतिशत तक पहुँच गया था। इसके अलावा, Google का Maps, Chrome और Android जैसे अन्य प्रमुख उत्पाद भी उसकी सफलता का कारण बने हैं।

अदालत के फैसले के बाद, Google को अपने अगले कदम पर विचार करने के लिए कहा गया है। यह मामला अप्रैल में होने वाली सुनवाई में और भी अधिक जटिल हो सकता है, जब दोनों पक्ष अपनी दलीलें पेश करेंगे।

आगे क्या होगा?

यदि यह मामला अपील में जाता है, तो इस प्रक्रिया में वर्षों का समय लग सकता है। यही नहीं, अमेरिकी सरकार में बदलाव के बाद इस मामले की दिशा भी बदल सकती है। राष्ट्रपति-चुनाव के बाद, डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का रुख Google और अन्य टेक कंपनियों के मामले में मिश्रित रहा है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इस एंटीट्रस्ट मामले में किस दिशा में कदम उठाते हैं।

अमेरिकी सरकार की यह कार्रवाई इस बात का संकेत है कि तकनीकी दिग्गजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई अब एक नई दिशा में बढ़ रही है, और यह भविष्य में अन्य कंपनियों के लिए भी एक चेतावनी हो सकती है।

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