Bareilly News: उत्तराखंड पुलिस द्वारा बरेली में अचानक की गई रेड ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। ऊधमसिंह नगर पुलिस ने बिना स्थानीय पुलिस को सूचना दिए 70 गाड़ियों और 300 जवानों के साथ बरेली में ताबड़तोड़ छापेमारी की। यह कार्रवाई शहर के कुख्यात ड्रग माफिया शाहिद उर्फ कल्लू डॉन और उसके गुर्गों की तलाश में की गई थी। लेकिन इस गुप्त ऑपरेशन में पुलिस को कोई बड़ी सफलता नहीं मिली। 16 संदिग्धों को उठाने के बावजूद 15 को साक्ष्य के अभाव में छोड़ना पड़ा जबकि ड्रग्स की एक भी पुड़िया बरामद नहीं हुई।
रमजान के दौरान छापेमारी से भड़के लोग
यह छापेमारी ऐसे समय पर हुई जब मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान के सहरी की तैयारी कर रहे थे। बरेली पुलिस का कहना है कि बिना सूचना के इतनी बड़ी संख्या में बाहरी पुलिस के पहुंचने से माहौल बिगड़ सकता था और टकराव की नौबत आ सकती थी। जब स्थानीय लोगों में हड़कंप मचा तो उत्तराखंड पुलिस को लोकल पुलिस चौकी से मदद लेनी पड़ी।
ड्रग माफिया का गढ़ बना बरेली
बरेली (Bareilly News) का फतेहगंज पश्चिमी, आंवला और फरीदपुर इलाका लंबे समय से स्मैक तस्करों का अड्डा बना हुआ है। यहां से नशे की खेप उत्तराखंड समेत कई राज्यों में भेजी जाती है। कल्लू डॉन इस नेटवर्क का सबसे बड़ा सरगना बताया जाता है जो फिलहाल जमानत पर बाहर है और दोबारा नशे के धंधे में सक्रिय हो गया है।
रेड से यूपी-उत्तराखंड पुलिस में बढ़ा तनाव
उत्तराखंड पुलिस का कहना है कि उन्होंने यह ऑपरेशन पूरी गुप्त योजना के तहत अंजाम दिया क्योंकि उन्हें शक था कि बरेली पुलिस को सूचना देने से रेड की खबर लीक हो सकती थी। वहीं बरेली पुलिस का तर्क है कि बिना लोकल पुलिस को बताए रेड करने से हालात बिगड़ सकते थे। इससे पहले 2022 में मुरादाबाद पुलिस ने भी बिना अनुमति के उत्तराखंड में छापेमारी की थी जिसमें हिंसक झड़प हुई थी और एक महिला की गोली लगने से मौत हो गई थी।
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क्या तस्करों को बचाने के लिए होता है ऑपरेशन लीक?
इस पूरे घटनाक्रम ने यूपी और उत्तराखंड पुलिस के बीच आपसी तालमेल की कमी को उजागर कर दिया है। दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकार होने के बावजूद पुलिस विभागों के बीच समन्वय की भारी कमी देखने को मिल रही है। इस विवाद ने यह भी सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर नशा माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई में पुलिस टीमें एक-दूसरे पर भरोसा क्यों नहीं कर पा रही हैं? क्या वास्तव में किसी बड़े माफिया को बचाने के लिए सूचना लीक होने का खतरा रहता है?
रेड का नतीजा.. न तस्कर पकड़ा गया न ही मिली ड्रग्स
ऊधमसिंह नगर पुलिस ने पूरे ऑपरेशन को अंजाम (Bareilly News) देने के बावजूद न कल्लू डॉन तक पहुंच पाई और न ही किसी बड़े तस्कर को पकड़ पाई। यह रेड नाकाम साबित हुई जिससे अब दोनों राज्यों की पुलिस एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं। बरेली के पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की छापेमारी से जनभावनाएं भड़क सकती हैं और प्रशासन को ज्यादा तनाव झेलना पड़ सकता है।
यूपी-उत्तराखंड सरकारों पर उठ रहे सवाल
इस विवाद के बाद यूपी (Bareilly News) और उत्तराखंड सरकारों पर सवाल उठ रहे हैं कि वे दोनों राज्यों की पुलिस के बीच तालमेल क्यों नहीं बैठा पा रही हैं? ड्रग्स तस्करी के खिलाफ कार्रवाई में समन्वय बेहद जरूरी है क्योंकि इस तरह के विवाद अपराधियों को बच निकलने का मौका देते हैं। अब देखना होगा कि इस प्रकरण के बाद सरकारें कोई ठोस कदम उठाती हैं या यह मामला भी सिर्फ बयानबाजी तक ही सीमित रह जाता है।