चुनाव से पहले नेताओ में मनमुटाव दिखना तो मामूली सी बात हैं मगर जब यह मन मुटाव बड़े नेताओ के दरमियान दिखे तो सवाल भी खड़े होते हैं और पूछे भी जाते हैं दरअसल राज्सथान विधानसभा चुनाव नजदीक हैं हर पार्टी अपना दमखम दिखाने में लगी है मगर आपको याद हो तो हाल ही में कांग्रेस के दो राजस्थान के बड़े नेता कहने का मतलब राजस्थान सीएम गहलोत जी ओर सचिन पायलट में काफी नराजगी देखी गई थी और एक बार फिर एक दूजे तंज कसे जा रहे अब गहलोत का पायलट की हाईकमान से तुलना करना तो चर्चा में आना ही था फिर क्या एक बार ओर दोने के बीच जंग देखी जा रही हैं
गहलोत और पायलट के बीच टकराव क्यों ?
बात कि जाए तो कांग्रेस के इन दोनों नेताओं के बीच पिछले साढ़े चार साल से टकराव देखने को मिल रहा। मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर गहलोत और पायलट के बीच सियासी खींचतान लगातार जारी रही। हालांकि ‘राजनीति के जादूगर’ कहे जाने वाले अशोक गहलोत हर बार सचिन पायलट पर भारी पड़ ही जाते है पायलट ने गहलोत पर कई बार सियासी वार करने की कोशिश की और उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने के हर प्रयास किया मगर उसका कोई फायदा नहीं हुआ और हर बार बाजी गहलोत ने जीती हलाकिं उस समय बैठको के दौर ने इसे संभाल लिया लेकिन चुनाव नजदीक आते बायनो का बजार फिर से सज गया हैं अब ऐसे में लागातार एक दूजे पर तंज देखकर तो कयास यही लगाए जा रहे की दोनो के बीच फिर कुछ मनमुटाव शुरु हो गया और यह मनमुटाव कहीं सीएम पद की कुर्सी तो नहीं क्योकिं दोनो दिग्गज नेता इस कुर्सी पर अपनी धाक जमाना चाहते हैं
सीएम अशोक गहलोत क्यों भाती हैं अपनी कुर्सी ?
हालि में जिस तरह सीएम गहलोत ने बयान दिया था कि मैं तो कुर्सी छोड़ना चाहता हुं मगर यह कुर्सी मुझसे इतना प्रेम करती है की वो मुझे छोड़ना नहीं चाहती तो अब मैं क्या करुं इस बयान के बाद यह तो साफ हो गया था कि गहलोत जी का कुर्सी प्रेम कितना जिसके इर्द गिर्द वो किसी परिंदे को भी भटकने नहीं देना चाहते हैं अब सवाल उठता हैं कि जब दोनो नेताओ के बीच सारा मसला हल हो गया था तो यह मुद्दा दोबारा चर्चा में क्यों आ रहा हैं दरअसल पिछले कुछ महीनों से दोनों नेता शांत थे और एक दूसरे पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे थे। हालांकि, शुक्रवार को जयपुर में आयोजित एक न्यूज पोर्टल के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर बड़ा तंज कसा। सीएम गहलोत ने मुस्कुराते हुए कहा कि पायलट तो खुद हाईकमान हैं। चुनाव में उनकी क्या भूमिका रहेगी, यह तो वे खुद तय करेंगे।
आपसी मनमुटाव क्या भारी पड़ेगा विधानसभा चुनाव ?
अब इसके पलटवार पायलट क्या कहते है देखना होगा मगर दोनो की कटाछ कही कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में भारी न पड़ जाए क्योकिं पहली मरतबा मनाने के लिए 34 दिन नेताओ का ताता होटल में रुका था मुद्दा उस वक्त भी चुनाव को देखते हुए उठा था लेकिन अब तो चुनाव भी नजदीक कही यह लड़ाई कांग्रेस पर भारी न हो जाए इस बात का डर तो पार्टी को भी हैं ही बाकि देखना होगा क्या कुछ निकलकर सामने आता हैं