देशभक्ति और राष्ट्रीय गौरव की भावना को बढ़ावा देना
सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि इस बदलाव का उद्देश्य छात्रों में राष्ट्रीय एकता की भावना और देश के समृद्ध इतिहास के प्रति सम्मान को बढ़ावा देना है। स्कूल शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि ‘जय हिंद’ के इस्तेमाल से छात्रों में अनुशासन और एकरूपता की भावना पैदा होगी।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रेरित
सर्कुलर में यह भी बताया गया है कि ‘जय हिंद’ का नारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा गढ़ा गया था और स्वतंत्रता के बाद इसे सशस्त्र बलों द्वारा सलामी के रूप में अपनाया गया। इस ‘देशभक्तिपूर्ण अभिवादन’ के नियमित प्रयोग से छात्रों को देश की आजादी के लिए किए गए बलिदानों की सराहना करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
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कोई अनिवार्य पालन नहीं, केवल सुझाव
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने स्पष्ट किया कि यह सर्कुलर केवल एक सलाह के रूप में जारी किया गया है और इसका पालन नहीं करने पर किसी प्रकार की सजा का प्रावधान नहीं है। यह एडवाइजरी स्कूलों में योग और क्विज सत्रों के सुझावों के समान ही है, न कि कोई नया नियम या कानून।
संभल जिले के स्कूलों में भी लागू हुए थे नए नियम
Haryana से पहले, उत्तर प्रदेश के संभल जिले में भी इसी तरह के नए नियम लागू किए गए थे, जिनमें छात्रों और शिक्षकों के जूते-चप्पल पहनकर स्कूल में प्रवेश न करने और शिक्षकों को पारंपरिक भारतीय पोशाक पहनने का निर्देश दिया गया था। साथ ही, छात्रों को शिक्षकों को ‘सर-मैडम’ की बजाय ‘दीदी’, ‘बहनजी’ या ‘गुरुजी’ कहकर संबोधित करने की हिदायत दी गई थी।
Haryana सरकार का यह नया सर्कुलर इस बात का प्रतीक है कि राज्य सरकारें अपने-अपने क्षेत्रों में शिक्षा के माध्यम से छात्रों में देशभक्ति और अनुशासन की भावना को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय हैं।