कानपुर ऑनलाइन डेस्क। कानपुर को धार्मिक, आर्थिक और क्रांतिकारियों का शहर कहा जाता है। एक वक्त यहां का बना कपड़ा जमान-अमेरिका के घरों की रौनक बढ़ाता था, तो वहीं अंग्रेजों के खिलाफ जंग-ए-आजादी का बिगुल इसी धरा से फूटा। आजादी के बाद इसे पूरब के मैनचेस्टर का तमगा मिला। आज भी कंपू में अंग्रेजों के जमाने की कई निशानियां मौजूद हैं, जो इंसानों को रोजगार के साथ इलाज भी मुहैया करा रही हैं। ऐसी ही निशानी उर्सला हॉर्समैन मेमोरियल हॉस्पिटल है, जिसकी नींव अल्बर्ट नाम के कारोबारी ने 1936 में अपनी बीवी के नाम पर रखी थी। स्थापना काल से जरूरतमंदों की जीवन रक्षा करता चला आ रहा यह अस्पताल बेपनाह मोहब्बत की कहानी को भी अपने सीने में संजोए हुए है।
1921 में उर्सला और अल्बर्ट ने की थी शादी
कहानी की शुरूआत 1919 को हुई। फ्रांसिस हॉर्समैन जो एक बड़े उद्योगपति और स्वदेशी मिल के संस्थापक भी थे, उन्होंने अपनी मां एलिस हार्समैन की याद में डफरिन हास्पिटल भी बनवाया था। फ्रांसिस के बेटे अल्बर्ट भी कारोबार में उनका हाथ बंटवाते थे। तभी अल्बर्ट की मुलाकात उर्सला नाम की लड़की से हुई। दोनों के बीच दोस्ती हुई जो बाद में प्यार में तब्दील हो गई। उर्सला बहुत खूबसूरत थीं। उस समय उन्हें-हुस्न-ए-मल्लिका के उपनाम से संबोधित किया जाता था। दोनों का प्यार परवान चढ़ा। अल्बर्ट ने उर्सला के सामने शादी का प्रोपोजल रखा, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। फिर क्या था, 1921 में अल्बर्ट हॉर्समैन ने उर्सला के साथ शादी कर ली। शादी के बाद उन दोनों को चार संतानें मोराइनी, हेनरी, जॉन और पीटर हुईं। उर्सला और अल्बर्ट की लव स्टोरी सक्सेसफुल हो चुकी थी। आगन बच्चों की किलकारियों से सराबोर था।
1965 में उर्सला की हो गई थी मौत
साल 1935 अल्बर्ट और उर्सला की दुजाई बनकर आया। 1935 में ब्रिटिश इम्पीरियल एयरवेज का विमान हादसे का शिकार हो गया, जिसमें सफर कर रही उर्सला की मौत हो गई। इस घटना ने अल्बर्ट हॉर्समैन एवं उसके छोटे भाई हेनरी हॉर्समैन को व्यथित कर दिया। उर्सला की स्मृतियों को दिल में सहेजने के लिए अल्बर्ट ने कानपुर में अपनी बीवी के नाम अस्पताल के निर्माण का एलान किया। अल्बर्ट चाहते थे कि अस्पताल ताजमहल से भी बड़ा हो। जिसके बाद हॉस्पिटल के निर्माण का कार्य शुरू हुआ। और 26 फरवरी 1937 को प्रेम की निशानी बनकर तैयार हो गई। स्थापना काल से जरूरतमंदों की जीवन रक्षा करता चला आ रहा यह अस्पताल बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ बेपनाह मोहब्बत की कहानी को भी अपने सीने में संजोए हुए है।
यूपी के सबसे बड़े हॉस्पिटल में शुमार
उर्सला हास्पिटल में 1250 लोगों का स्टाफ है। 11 अरब रुपये से ज्यादा का दान इस अस्पताल को हर साल मिलता है। यहां 12 से ज्यादा क्लीनिकल यूनिट हैं। इसमें बर्न यूनिट, कार्डियक यूनिट, डायलिसिस यूनिट, फिजियोथेरेपी, आईसीयू, आईसीसीयू, एमआरआई, सीटी स्कैन, वेंटीलेटर, पीबीयू, नियोनेटल यूनिट, सीआर्म, डिजिटल एक्सरे, अल्ट्रासाउंड जांच, पैथालॉजी, ब्लड बैंक जैसी यूनिट हैं। कोविड-19 के दौरान इस मरीजों के ललाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अस्पताल में हर साल लाखों मरीजों का इलाज होता है और वो दिल से दुआएं देते हैं। जानकार बताते हैं कि 70 के दशक तक उर्सला यूपी का सबसे बड़ा हॉस्पिटल था और देश के कोने-कोने से मरीज अपना इजाल करवाने के लिए आते थे। 2017 के बाद से उर्सला में आधुनिक मशीनें लगवाई गई हैं। यहां पर हर मर्ज के डॉक्टर्स मरीजों का उपचार करते हैं।